नटखट कृष्ण कन्हैया प्यारा


जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ 
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नटखट कृष्ण कन्हैया प्यारा
जसुदा माँ का राजदुलारा

जनम लिया वो कारागर में
काली आधी रात प्रहर में
सुंदर नैना वर्ण है कारा

घन बरसात भरी जमुना है
नंद के शीश चढ़े कान्हा है
चरण छुए जमुना जल हारा

गोकुल चले देवकी के सुत
रूप सलोना मोहनि मूरत
जसुदा की आँखों का तारा 

माखन चोर, मटकियाँ फोरी
रास रचावे राधा गोरी
गोकुल जन का प्राण पियारा

धेनु चराई, नाग नथाया
पर्वत एक उँगली पे उठाया
झूम उठा जन जीवन सारा

उस की लीला वो ही जानें
दिखे सदा बस मुरली ताने
मुरलीधर पे ये जग वारा

  **जिज्ञासा सिंह**

22 टिप्‍पणियां:

  1. मुरली वाले की लीलाओं की सुंदर झलक दिखला दी जिज्ञासा जी आपने। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

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    1. आपका बहुत बहुत आभार जितेन्द्र जी, आपको जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई।

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (31-8-21) को "कान्हा आदर्शों की जिद हैं"'(चर्चा अंक- 4173) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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  3. कामिनी जी सबसे पहले आपको जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई।चर्चा मंच में रचना को चयन करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार और अभिनंदन।

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  4. कृष्ण लीला का सुंदर वर्णन!

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  5. कान्हा के बास स्वरुप और योगिराज स्वरुप .... हर भाव ही मन को आल्हादित कर देता है ... बहुत सुन्दर रचना है ...

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  6. बहुत खूब | कृष्णजन्माष्टमी की शुभकामनायें

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  7. बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन।
    बहुत बहुत बधाई।
    सादर

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  8. बहुत सुंदर गीत है जिज्ञासा जी...। जन्माष्टमी की खूब बधाईयां

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  9. बहुत बहुत आभार आपका ।आपको मेरा सादर नमन ।

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  10. कान्हा की बहुत सुन्दर रचना

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  11. बहुत खूबसूरत पँक्तियाँ ।
    कम शब्दों में कृष्ण की अनेक लीलाओं को बांध लिया ।

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