मेरे मैया की ऊँची अंटारी,मैं तो धीरे धीरे चढ़कर आई
सास ससुर को साथ में लाई,अपने माता पिता भी लाई
मैं तो....
अपनी मैया के लिए चुनरी भी लाई,चुनरी मैं लाई
मैं तो भोजन भी लाई,मैं तो दीप जलाने आई,
मैं तो धीरे धीरे....
भरी रहें मेरे देश की नदियाँ, देश की नदियाँ,
औ ताल तलरियाँ
मैं तो बरसात मांगन आई, मैं तो धीरे धीरे ....
फूलों फलों से लदीं हों बगियाँ,
बागों में उड़ती हों, तितली औ चिड़ियाँ
मैं तो हरियाली मांगन आई,मैं तो धीरे धीरे ....
देश की मेरे भरी हों भंडारे, चलते हो लंगर
और खाएं कतारें,
मैं तो अन धन मांगन आई मैं तो धीरे धोरे.......
मेरे देश का आँगन भरा हो, सद्भाव शिक्षा का दीप जला हो
मैं तो घर बार मांगन आई, मैं तो धीरे धीरे...
मेरे मैया की ऊँची अटारी, मैं तो धीरे धीरे चढ़ कर आई ।।
**जिज्ञासा सिंह**
बहुत ही सुंदर मनभावन देवी गीत।
जवाब देंहटाएंनववर्ष और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये जिज्ञासा जी।
बहुत बहुत आभार प्रिय कामिनी जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को नमन है। आपको नववर्ष तथा नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई.. जिज्ञासा सिंह ।
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 14 अप्रैल 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय दीदी,सादर नमस्कार !
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार, आपके स्नेह की सदैव आभारी हूं, शुभकामनाओं सहित सादर नमन.. जिज्ञासा सिंह ।
ये धीरे धीरे चढ़ कर मैया से सब कुछ ही मांग लिया ... माँ है न तो मना नहीं करेगी ... सब कुछ आपकी झोली में भर देंगी ... सुन्दर गीत .
जवाब देंहटाएंआदरणीय संगीता दीदी,आपको और आपकी सुंदर कामनाओं को नमन करती हूं,सादर अभिवादन, शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।
हटाएंप्रशंसा के शब्द कम होंगे। कोई स्वार्थ वश ईश्वर से सिर्फ खुद के लिए ही मांगता है।
जवाब देंहटाएंआपकी निःस्वार्थ लेखनी को नमन।
हम तो प्रशंसक है आपकी लेखन विधाओं के। हम आपके लिए सफलताओं की कामना करते हैं। ।।।
बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना प्रिय जिज्ञासा जी। एक कवि मन समस्त चराचर के लिए सद्भावनाओं से भरा होता है। सबके सुख की कामना उसका प्रमुख ध्येय होता है। आपने सुंदर कामना रखी है जगत जननी जगदम्बा माँ के समक्ष। भावों से भरे श्रद्धा पूर्ण सृजन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। आपकी समस्त कामनाएं फलीभूत हों, यही कामना करती हूँ। जय जय अम्बे- जय जगदंबे 🙏🌹🌹💐💐❤
हटाएंसच आपने सही कहा,आपकी सुंदर प्रशंसा और कामना का आदर और सम्मान करती हूं,आपको हार्दिक शुभकामनाएं एवम नमन ।
हटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंचैत्र नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय शास्त्री जी,आपको मेरा सादर अभिवादन ।
जवाब देंहटाएंसर्वमंगल की कामना माता की अटरिया पर की, इससे अच्छी क्या बात हो सकती है। प्रकृति स्वच्छ रहे, हरी भरी रहे तो ये संसार स्वयं ही सुखद होगा। सुन्दर गीत के लिए हार्दिक बधाई आपको।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार ऋता शेखर मधु जी, आपकी सुंदर कामना तथा प्रशंसा को हार्दिक नमन एवम वंदन,ये मेरे लोकगीत का ब्लॉग है,समय मिले तो मेरे कविताओं के ब्लॉग "जिज्ञासा की जिज्ञासा" पर भी आएं आपका हार्दिक स्वागत एवम अभिनंदन करती हूं ।
हटाएंबहुत ही सुंदर गीत ।
जवाब देंहटाएंजयकृष्ण जी आपका बहुत बहुत आभार ।
हटाएंसुंदर भक्ति गीत
जवाब देंहटाएं🙏🙏🌹🌹
हटाएंआदरनिया मैम,
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भक्ति- गीत नव रात्री के उपलक्ष में । पूरे देश के लिए आपकी मंगल-कामनायें दिल को छु जातीं हैं । आपने तो इस गीत के माध्यम से राम -नवमी के उपलक्ष में राम-राज्य की कामना ही कर ली । आपकी रचना को पढ़ कर किसी लोक-गीत को सुनने जैसा आनंद मिलता है या फिर पुराने फिल्मों में भजन और प्रार्थना-गीत की याद या जाती है । यदि आप इसको ली-बद्ध कर एक वीडियो बनाएं तो एक बहुत सुंदर भक्ति-गीत हो 0 जाएगा
ये o गलती से आ गया है । कृपया इसे ना पढ़ें
जवाब देंहटाएंप्रिय अनंता,ये मेरा लोकगीतों का ही ब्लॉग है,मुझे लोकगीत लिखना और गाना दोनो बहुत पसंद है, गाती बहुत हूं, पर अभी डाला नहीं है आशा है जल्दी ही सुनने को मिले आपको,क्योंकि कई लोग सुझाव दे रहे हैं, मैं कविताएं "जिज्ञासा की जिज्ञासा" पर डालती हूं,समय मिले तो आओ,आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन इतनी सुंदर टिप्पणी के लिए ।
हटाएंअति-सुंदर भक्ति-गीत है यह जिज्ञासा जी। अभिनंदन के साथ-साथ आपको एवं आपके प्रियजनों को नवरात्रि की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार जितेन्द्र जी, आपकी प्रशंसा से नव सृजन का मार्ग प्रशस्त होता है,सादर अभिवादन ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर देवी गीत, भाव पूर्ण, मां जगदम्बे सदा सब की रक्षा करें , जय माता दी
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार आदरणीय,मेरे कविताओं के ब्लॉग "जिज्ञासा की जिज्ञासा" पर आपका हार्दिक स्वागत है, समय मिले तो कृपया भ्रमण अवश्य करें ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भजन गीत
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार मनोज जी । आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन करती हूं ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर गीत
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ज्योति जी, आपको मेरा सादर अभिवादन ।
हटाएंसुंदर गीत...।
जवाब देंहटाएंसंदीप जी आपकी प्रशंसा को सादर नमन एवम वंदन ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भजन जिज्ञासा जी।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार अनुराधा जी , आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हृदय से नमन करती हूं ।
जवाब देंहटाएंमाँ से ही माँगा जा सकता है ... और वो झोलियाँ भर के देती भी है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण गीत ...
दिगम्बर जी,मेरे इस ब्लॉग पर आपकी प्रशंसनीय टिप्पणी से अभिभूत हूं,आपका बहुत आभार और अभिनंदन ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार शिवम जी ।
जवाब देंहटाएंमनभावन प्रार्थना ….गरजिया देवी मंदिर देख कर लगा आप हमारे उत्तराखंड की ही हैं 😁😁😍
जवाब देंहटाएंबहुत आभार शारदा जी,आपकी बात बड़ी अच्छी लगी, वैसे मैंने ये चित्र नेट से लिया है,और मैं उत्तराखंड की नहीं हूँ,पर उत्तराखंड मुझे बहुत प्यारा है,और उत्तर प्रदेश का प्यारा भाई है,और हम दोनों बहनें,बहुत नमन ब्लॉग पर आने के लिए।
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