राम मोरे सपन म आए


रघुकुल मणि राम मोरे सपन म आए 
छवि देखूँ अविराम मोरे सपन म आए 

मलयागिरी माथे चंदन है चंदन 
दोऊ नैना रत्नार कजरा हैं रुचिर लगाए 

पवन बहे बेगि बड़ी है सुंदर बड़ी है मनहर 
पुसपक बीमान बैठे हैं अति हरसाए 

संग आवैं नवग्रह सारे, नवग्रह सारे 
सूरज और चाँद, तारे हैं संग म आए 

बैठारा है स्वर्ण सिंहासन हाँ स्वर्ण सिंहासन 
चरणन हनुमान, बैठे हैं सीस नवाए 

सजे थाल दीप औ बाती, दीप औ बाती 
रही अरती मैं ऊतार, वे दूनो है हाथ उठाए 

जिज्ञासा सिंह

बलमवा बढ़िया चाही (लोकगीत)

काजल देवी की जय हो!
जन्मदिन की बधाई❤️🌹

साँवरि सूरत मोहनि मूरत
नइना करें कमाल, बलमवा बढ़िया चाही।
मोरे मन की सुन लो अम्मा,
तुम्हें बताऊँ हाल, बलमवा बढ़िया चाही॥

घर चाहे कुछ छोटा हो,
सर्बिस धंधा मोटा हो,
छोटा-मोटा चल भी जाए
पर जिव का न खोटा हो
अपनी मीठी बतियन से 
मोहे कर दे मालामाल, बलमवा बढ़िया चाही॥

डील-डौल से हट्टा-कट्टा, 
देख दाँत हो सबका खट्टा,
मोरा मनवा मचल पड़े 
हो ऐसा निराला पट्ठा
 अँखियाँ हों चमकीली उसकी
चले नसीली चाल, बलमवा बढ़िया चाही॥

दिल्ली, बम्बई हमें घुमावे,
पिक्चर-सनिमा खूब दिखावे
जैसे ही कुछ माँगी मन का
तुरत कहीं से लेकर आवे
जइसे बोलूँ वइसे चलदे
रोज घुमावे माल, बलमवा बढ़िया चाही॥

पकड़ कलैया संग-संग घूमे,
डीजे पर नाचे औ दूमे,
चलूँ जिधर से पहन ओढ़ि के
हमरे आगे पीछे घूमे
आइस्क्रीम ऐसी खिलवावे 
मुँहवा कर दे लाल, बलमवा बढ़िया चाही॥

जिज्ञासा सिं