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नटखट कृष्ण कन्हैया प्यारा
जसुदा माँ का राजदुलारा
जनम लिया वो कारागर में
काली आधी रात प्रहर में
सुंदर नैना वर्ण है कारा
घन बरसात भरी जमुना है
नंद के शीश चढ़े कान्हा है
चरण छुए जमुना जल हारा
गोकुल चले देवकी के सुत
रूप सलोना मोहनि मूरत
जसुदा की आँखों का तारा
माखन चोर, मटकियाँ फोरी
रास रचावे राधा गोरी
गोकुल जन का प्राण पियारा
धेनु चराई, नाग नथाया
पर्वत एक उँगली पे उठाया
झूम उठा जन जीवन सारा
उस की लीला वो ही जानें
दिखे सदा बस मुरली ताने
मुरलीधर पे ये जग वारा
**जिज्ञासा सिंह**
मुरली वाले की लीलाओं की सुंदर झलक दिखला दी जिज्ञासा जी आपने। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार जितेन्द्र जी, आपको जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई।
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (31-8-21) को "कान्हा आदर्शों की जिद हैं"'(चर्चा अंक- 4173) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
कामिनी जी सबसे पहले आपको जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई।चर्चा मंच में रचना को चयन करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार और अभिनंदन।
जवाब देंहटाएंकृष्ण लीला का सुंदर वर्णन!
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार ।
हटाएंकान्हा के बास स्वरुप और योगिराज स्वरुप .... हर भाव ही मन को आल्हादित कर देता है ... बहुत सुन्दर रचना है ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका ।आपको मेरा सादर नमन ।
हटाएंबहुत खूब | कृष्णजन्माष्टमी की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका ।आपको मेरा सादर नमन ।
हटाएंसुंदर वर्णन!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ।
बहुत बहुत आभार आपका ।आपको मेरा सादर नमन ।
हटाएंबहुत सुन्दर वर्णन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका ।आपको मेरा सादर नमन ।
हटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई।
सादर
बहुत बहुत आभार आपका ।आपको मेरा सादर नमन ।
हटाएंबहुत सुंदर गीत है जिज्ञासा जी...। जन्माष्टमी की खूब बधाईयां
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका ।आपको मेरा सादर नमन ।
जवाब देंहटाएंकान्हा की बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका मनोज जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत पँक्तियाँ ।
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में कृष्ण की अनेक लीलाओं को बांध लिया ।
बहुत आभार आदरणीय दीदी ।
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