फगुनिया ओढ़नी




देखो सखी ओढ़नी मंगाई फागुन में

धानी रंग ओढ़नी बसंती रंग ओढ़नी
 लाल रंग ओढ़नी मंगाई फागुन में 

फूल छाप ओढ़नी चिरैया छाप ओढ़नी
हिरनी छाप ओढ़नी मंगाई फागुन में

ओढ़नी ओढ़ मैं बैठी झरोखे
आए गए बालम निहारें फागुन में

लाल रंग देखें चिरैया छाप देखें
देख देख हमका सतावें फागुन में

बार बार हमसे सजन यही पूछें
लाया कौन ओढ़नी बताओ फागुन में

संखियां सहेली संग गई मैं बजरिया
मिल गए यार पुराने फागुन में

हँस बतियाए, मिठैया खिलाए
ओढ़नी दिलाए गुलाबी फागुन में

इतनी बचन सुन बलमा जी रूठे 
बैठ गए हमसे रिसाय फागुन में 

ओढ़ के ओढ़नी मैं बैठी सेजरिया 
दीना बलम को चिढ़ाय फागुन में 

बड़ी रे जतन से सजन को मनाया 
लीना हिया से लगाय फागुन में 

देखो सखी ओढ़नी मंगाई फागुन में 

**जिज्ञासा सिंह**

होली की हार्दिक शुभकामनाएं
************************

29 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (24-03-2021) को   "रंगभरी एकादशी की हार्दिक शुफकामनाएँ"   (चर्चा अंक 4015)   पर भी होगी। 
    --   
    मित्रों! कुछ वर्षों से ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके। चर्चा मंच का उद्देश्य उन ब्लॉगों को भी महत्व देना है जो टिप्पणियों के लिए तरसते रहते हैं क्योंकि उनका प्रसारण कहीं हो भी नहीं रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत बारह वर्षों से अपने धर्म को निभा रहा है। 
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --  

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय शास्त्री जी, आपकी सलाह का सम्मान करते हुए, आपकी सुंदर मनोभवना को नमन करती हूं, मैं अपने इस ब्लॉग की रचना को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं, शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।

    जवाब देंहटाएं
  3. संखियां सहेली संग गई मैं बजरिया
    मिल गए यार पुराने फागुन में

    ये वाला मस्त है .. :) :)

    खूब रंग चढ़ा फागुन में ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मुझे पता था कि आपको मज़ा आएगा, मेरे घर में लोगों को मेरे ऐसे गानों पे बड़ा मज़ा आता है,आपका आशीर्वाद मेरे लिए प्रेरणा है आपको नमन ।

      हटाएं
  4. फागुन के रंग में रंग गईं आप जिज्ञासा जी और रंग डाला पाठकों को भी । मन जीत लिया इस गीत ने ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अब होली में नहीं रंगेगे जितेन्द्र भाई,तो कब रगेंगे,जिंदगी में तो रोज ही दर्द है ।आपको नमन ।

      हटाएं
  5. फागुन के सारे रंगों से सराबोर कर गयी आपकी यह रंगों भरी रचना!
    बड़ी रे जतन से सजन को मनाया
    लीना हिया से लगाय फागुन में
    देखो सखी ओढ़नी मंगाई फागुन में ।
    --ब्रजेंद्रनाथ

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी अनमोल टिप्पणी का आदर करते हुए आपको नमन करती हु । सादर अभिवादन आदरणीय ।

      हटाएं

  6. प्रिय जिज्ञासा जी मस्त, रसीला गीत मन भावन गीत👌👌👌
    संखियां सहेली संग गई मैं बजरिया
    मिल गए यार पुराने फागुन में
    हँस बतियाए, मिठैया खिलाए
    ओढ़नी दिलाए गुलाबी फागुन में////👌👌👌🙏पर-------

    😃😃😃😃
    सखी! इतने क्यूँ नाच नचाये फागुन में,
    पिया का जिया दुखाये फागुन में,
    सारी दुनिया से हँसी ठिठोली
    बलमा जी दीजे रुलाय फागुन में!!!! 😃😃😃😃😃ढेरों शुभकामनाएँ फ़ाग ,होली मुबारक हो ❤❤

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सखी अभी तक तो घर परिवार संभालते सहेजते समय बीता,सोचा थोड़ा अब अपने रंग में रंगीन हो जाऊं,बस..
      सूझ गई शैतानी, ऊपर से फाल्गुन महीना,वैसे आपकी आशु पंक्तियां बहुत आनंद दे गई हैं ।अगर आप सामने होती तो गा के भी सुनाती, सच आपको सुनके बड़ा मजा आता । और मुझे आपको सुना के । बहुत आभार प्रिय दोस्त
      ये खुशी देने के लिए ।

      हटाएं
    2. भगवान ने चाहा वो दिन भी आयेगा। किसी दिन गाकर तो आपको यूँ ही भिजवा दूँगी। बहुत प्यार और होली की शुभकामनाएँ, 😃❤❤🌹🌹😃

      हटाएं
    3. और अपने लिए भी जीना जरूरी है। घर परिवार में लीन होने के बाद अपने लिए जीना बहुत अच्छा लग रहा है मुझे भी। संगीत दीदी के लिए ये पंक्तियाँ लिखी थी यहाँ लिख रही हूँ--
      ऐ जिदंगी, रुको तनिक!
      कम करो अपनी रफ़्तार अभी!
      अभी- अभी तो जगी उमंगें
      हुआ है खुद से प्यार अभी,
      नाज़ उठाने आया कोई
      भाया है अनायास दिल को
      पलकों के नभ में जगे हैं उत्सव
      सपनों ने किया श्रृंगार अभी!
      ❤❤🌹🌹❤❤🌹🌹
      सस्नेह रेणु

      हटाएं
    4. प्रिय रेणु जी, आदरणीय संगीता दीदी की रचना "मैं प्रेम में हूं"तो बहुत ही आत्विभोरकरने वाली थी, बहुत बड़ा जीवन दर्शन समेटे थी,मैने भी पढ़ी थी बहुत मन से, उसमें आपकी और श्वेता जी की प्रतिक्रिया बड़ी खास थी,आपकी ये पंक्तियां अपने आप में जीवंतता से भरी संपूर्ण,परिपूर्ण रचना है,जो आशाओं और उमंगों के अहसास से भरी है,,मेरे ख्याल में कवि मन होना ही,आपको जीवन को देखने का एक अलग नजरिया दे जाता है,एक कविता के माध्यम से हम बहुत कुछ कहते हैं,और दूसरे इंसान की अंदर की दुनिया तक पहुंचने में,थोड़ा ही सही, पर पहुंचने में समर्थ होते हैं, प्रिय सखी बहुत शुभकामनाएं,आपका जीवन रंगों से भरा रहे यही कामना है, हां गाना भेजना मत भूलिएगा ।बहुत आभार ।

      हटाएं
    5. कोशिश कर रही हूँ प्रिय जिज्ञासा। थोड़ा धैर्य रखिये। ❤❤🌹🌹😃

      हटाएं
  7. क्या बात है जिज्ञासा जी आप पर तो फागुन चढ़ गया है और ये भी खूब रही कि-हमें भी रंगना शुरू कर दिया है ,एक तो आपका गीत लाज़बाब और ऊपर से सखी रेणु की शिकायत ने रंग में भांग मिला दिया। बस मज़ा आ गया कसम से। कुछ दिनों तक ब्लॉग पर सक्रिय नहीं रह पाऊंगी तो आपको आज ही होली की हार्दिक शुभकामना। बलम संग आपकी ये ठिठोली चलती रहे यही कामना है।

    जवाब देंहटाएं
  8. प्रिय कामिनी जी,इस तरह मत जाइएगा, मेरा कल का गीत आपको रंग में सराबोर कर देगा,कल मैं आप वाले भाई साहब के लिए डालूंगी,सच्ची आपको मजा आ जाएगा । बस एक झलक मार लीजिएगा फिर होली की खरीदारी करने जाइएगा प्रिय सखी । बस रंग में सराबोर करने को आतुर जिज्ञासा ..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जैसे ही वक़्त मिला मैं तो यूं ही घुमती फिरती आ गई और देख रही हूं कि मेरी सखी ने तो आने का न्योता दे रखा है. . तो लिजिए मैं आ गई, और आपने जो रंग भेजा है उसमें सराबोर भी हो गई, परमात्मा से प्रार्थना है आप पर से ये प्रेम रंग कभी ना उतरे.. एक बार फिर से होली की हार्दिक शुभकामनाएं सखी

      हटाएं
    2. आज तो आप मेरे मन में उतर गई क्या आभार करूं? बस यूं ही बहार की तरह आप आती रहें और मैं आपको सुंदर लोकगीत सुनाती रहूं,और ईश्वर आपको होली के हर रंग में सराबोर रखे खुशियां दामन में भरी रहें ।होली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई,आपकी जिज्ञासा सिंह ।

      हटाएं
  9. फागुन के रंगों से सजा
    बहुत सुंदर गीत
    वाह

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ज्योति जी आपसे आभार सहित निवेदन है कि मेरे इस ब्लॉग पर अपना स्नेह बनाए रखें, क्योंकि लोकगीत में लोगों की रुचि निरंतर कम हो रही है, और पुराने लोकगीत विलुप्ति के कगार पर हैं,सादर नमन, आज भी मैंने एक होलीगीत डाला है, आशा है आपको रुचिकर लगेगा।

      हटाएं
  10. लोक गीतों का सरस छेड़छाड़ वाला गीत,
    वो भी फागुन में
    सच मन झूम उठा ये गीत पढ़ फागुन में।
    सुंदर श्रृंगार गीत जिज्ञासा जी।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत बहुत आभार कुसुम जी,मेरे इस ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति देख मन खुशी से झूम उठा, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन । स्नेह बनाए रखें ।

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत खूब ... एक ओढ़नी को भी आपने कितने नए कलेवर में पिरो दिया ... हर बंध कमाल का है ... सुन्दर लोक गीत सा ...

    जवाब देंहटाएं
  13. सबसे पहले तो आपका होली के अवसर पर,मेरे इस लोकगीत के ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है,आप की सुन्दर टिप्पणी से बहुत हर्ष हो रहा है,आप लोगो के सहयोग से लोकगीत में भी लोगो की रुचि बढ़ेगी ,आपको मेरा नमन, होली पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  14. संखियां सहेली संग गई मैं बजरिया
    मिल गए यार पुराने फागुन में

    हँस बतियाए, मिठैया खिलाए
    ओढ़नी दिलाए गुलाबी फागुन में

    इतनी बचन सुन बलमा जी रूठे
    बैठ गए हमसे रिसाय फागुन में .....!
    वाह जिज्ञासा जी लोक गीतों की नधुरता का क्या कहना,,,फागुनी छेड़छाड़ वे मन मोह लिया । बधाई बहुत सुन्दर गीत👏👏👏👏😊

    जवाब देंहटाएं
  15. सबसे पहले आपका बहुत बहुत शुक्रिया, मेरे इस ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति देख मन खुशी से आपको नमन कर रहा है,आपको ये लोकगीत मधुर लगा, मेने समझ लिया कि मेरा लेखन सफल हो गया, सदैव स्नेह की अभिलाषा में जिज्ञासा सिंह ।

    जवाब देंहटाएं
  16. प्रिये आज ओढ़नी की बड़ी याद आई तो यहाँ पहुँच कर अपनी और सभी की प्रतिक्रियाएं देखकर पुराना समय याद हो आया! ये लाजवाब गीत अक्सर गुनगुना लेती हूँ! तुम्हारी लेखनी का यश सदा बढ़ता रहे यही दुआ है प्रिये!!! ❤❤❤❤❤❤❤❤

    जवाब देंहटाएं