आयो सावन मास चुनरिया धानी लैहौं
हरे हरे अम्बर,हरी हरी धरती
हरे हरे बूँद बदरिया झरती
कजरी गाय सुनैहौं, चुनरिया धानी...
हरी हरी मेहंदी पीस रचाई
हरी हरी चुड़ियों से भरी है कलाई
बेसर नाक पहिरिहौं,चुनरिया धानी...
अठरा बरस की मैं ब्याह के आई
मैं बनी राधा पिया किशन कन्हाई
झूम के रास रचैहौं,चुनरिया धानी...
निमिया की डारि पे पड़ गए झूले
रेशम डोरी लागी रंग सजीले
मारि पेंग नभ छुइहौं,चुनरिया धानी...
कोई सखी काशी कोई सखी मथुरा
सुधि मोहें आवे लागे न जियरा
पाती भेजु बुलवइहौं,चुनरिया धानी...
अम्मा औ बाबा की याद सतावे
रहि रहि करेजवा में पीर मचावे
बीरन आजु बुलैहौं,चुनरिया धानी...
आयो सावन मास चुनरिया धानी लैहौं...
**जिज्ञासा सिंह**
बहुत सुन्दर और गेय कजरी है जिज्ञासा !
जवाब देंहटाएं'बीरन आज बुलैहों --' से मुझे फ़िल्म बन्दिनी के गीत -
'अब के बरस भेज, भैया को बाबुल,
सावन में ले जो बुलाय रे --'
की याद आ गयी.
आदरणीय सर, आपकी सार्थक प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन।
हटाएंबहुत सुंदर गीत रचा आपने जिज्ञासा जी। इस पर तो कोई संगीतकार मधुर धुन बना सकता है और फिर किसी कुशल गायिका द्वारा इसे गाया जा सकता है।
जवाब देंहटाएंजितेन्द्र जी, आपकी बात सही है, मैने यूट्यूब चैनल बनाया है, मैं गाकर, आगे डालने की कोशिश करूंगी।
हटाएं"कोई सखी काशी कोई सखी मथुरा
जवाब देंहटाएंसुधि मोहें आवे लागे न जियरा
पाती भेजु बुलवइहौं,चुनरिया धानी..."
आपके गीतों में ही सावन को जी ले रहें है हम बाकि तो ये सावन और ये गीत कब के भूल चुकें है सब।
मनमोहक.....मनभावन गीत.... प्रिय जिज्ञासा जी
सही कहा प्रिय सखी,ऐसा ही जीवन हो गया है, पर मेरे अंदर जब कुलांचे मारती हैं सावन की घटा,तो गीत बन हो जाते हैं,आपको मेरा सादर नमन एवम।
जवाब देंहटाएंसुन्दर कजरी गीत ... अभी सावन पूरी तरह नहीं आया पर आपके इस गेयता लिए गीत ने सावन का एहसास करा दिया है ...
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार दिगम्बर जी,सादर नमन।
हटाएंसुंदर लोकगीत, सार्थक सृजन|
जवाब देंहटाएंआपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को नमन है।
हटाएंबहुते सुंदर🌻
जवाब देंहटाएंशिवम् जी आपका बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंसरस सुंदर भावों को संजोए ऋतु गीत ।
जवाब देंहटाएंकजरी मन मोहक ।
बहुत बहुत आभार कुसुम जी,सादर नमन।
जवाब देंहटाएंवाह!!! बहुत सुंदर। अब गा के भी सुना ही दीजिए। या कहिए तो भेज दें किसी म्यूज़िक प्रडूसर के पास :)
जवाब देंहटाएंहा हा,बिलकुल सर जल्दी डालूंगी और आपको सूचित करूंगी,क्योंकि आप का मार्गदर्शन तो गुरु जैसा होता जा रहा है,थोड़ा झिझक थी, पर अब डालूंगी। आपके शब्द प्रेरणा बनते हैं, आपको मेरा सादर अभिवादन।
हटाएंवाह! सुंदर सावन गीत जिज्ञासा जी। नारी मन के समस्त भावों को उजागर करता हुआ। हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार रेणु जी,आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को सादर नमन।
हटाएंबहुत मधुर, बहुत मनभावन, बहुत सुखद.
जवाब देंहटाएंअम्मा औ बाबा की याद सतावे
रहि रहि करेजवा में पीर मचावे
कजरी के लिए बधाई.
आपकी सुंदर टिप्पणी मन मोह गई, आपका बहुत बहुत आभार ।
जवाब देंहटाएंसावन का मौसम, उसकी दस्तक और कजरी का आनंद ...
जवाब देंहटाएंमधुर गुंजन सा ...
बहुत बहुत आभार दिगम्बर जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार जोशी जी।
जवाब देंहटाएंहरे हरे अम्बर,हरी हरी धरती
जवाब देंहटाएंहरे हरे बूँद बदरिया झरती
कजरी गाय सुनैहौं, चुनरिया धानी लैहों...
अत्यंत ही प्यारी, सावन की बूंदों में भीगी प्यारी सी इस रचना में भिगोने हेतु हृदयतल से आभार आदरणीया जिज्ञासा जी। ।।।।
बहुत बहुत आभार पुषोत्तम जी,आपका सादर नमन ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही उत्कृष्ट सावन ऋतु को रेखांकित करता गीत/कविता।हार्दिक शुभकामनाएं जिज्ञासा जी
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार जयकृष्ण जी, आपकी प्रतिक्रिया गीत को सार्थक कर गई।
हटाएंसावन का बहुत सुंदर गीत और बहुत मधुर गायन !!
जवाब देंहटाएंअनुपमा जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया गीत को सार्थक कर गई,कभी समय मिले तो मेरे किसी गीत को अपना स्वर दें तो मेरा गीत लेखन धन्य हो जाय, आपका गायन तो लाजवाब है, मैं तो बस शौकिया गाती हूं। कई अपने लोगों ने बहुत बार कहा इसलिए डाल दिया, आपकी प्रशंसा से अभिभूत हो गई। आपका विनम्र आभार।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 28 जून 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपका बहुत बहुत आभार दीदी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचा आपने गीता। सुनकर बढ़ा अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपने इसे गा कर विडिओ पोस्ट किया क्या ? वैसे ये कजरी मुझे अपने बचपन में ले गयी जब सावन के महीने में सारे बच्चे और महिलाएं ( माँ और आस पास की पड़ोसनें ) झुला झुलाते हुए ऐसे ही गीत गातीं थीं ......
जवाब देंहटाएंलाजवाब
जी, दीदी कुछ मित्रों ने कहा कि गाकर डालिए तो गाकर डाला था, आप भी देखिएगा ।आपसे बड़ा मनोबल बढ़ता है आपको मेरा सादर अभिवादन
जवाब देंहटाएंआज एक सावन गीत डालूंगी जरूर पढ़िएगा ।
हटाएंसुंदर भावों को संजोए ऋतु गीत
जवाब देंहटाएं