भाँवरी हो रही रघुवर की ।
भाँवरी हो रही सिया वर की ।।
पहली भाँवरी देवों को अर्पित, कृपा सदा रहे गौरीशंकर की ।
भाँवरी हो रही.....।।
दूजी भाँवरी प्रकृति को अर्पित, छाँव रहे जीवन में तरूवर की ।
भाँवरी हो रही.....।।
तीजी भाँवरी पृथ्वी को अर्पित, बखारें भरी रहें इस घर की ।
भाँवरी हो रही......।।
चौथी भाँवरी मेघों को अर्पित, फुहारें पड़ती रहें पुष्कर की ।
भाँवरी होर रही......।।
पांचवीं भाँवरी अग्नि को अर्पित,ज्योति सदा जगमग हो इस घर की ।
भाँवरी हो रही......।।
छठी भाँवरी परिजन को अर्पित, दुआयें मिलती रहे प्रियवर की ।
भाँवरी हो रही.....।।
सातवीं भाँवरी बन्ना बन्नी की,बनी रहे जोड़ी कन्या वर की ।
भाँवरी हो रही......।।
भाँवरी हो रही सिया वर की......।