चुनरिया धानी लैहौं (कजरी गीत )

आयो सावन मास चुनरिया धानी लैहौं

हरे हरे अम्बर,हरी हरी धरती 
हरे हरे बूँद बदरिया झरती 
कजरी गाय सुनैहौं, चुनरिया धानी...

हरी हरी मेहंदी पीस रचाई 
हरी हरी चुड़ियों से भरी है कलाई
बेसर नाक पहिरिहौं,चुनरिया धानी...

अठरा बरस की मैं  ब्याह के आई
मैं बनी राधा पिया किशन कन्हाई
झूम के रास रचैहौं,चुनरिया धानी...
 
निमिया की डारि पे पड़ गए झूले
रेशम डोरी लागी रंग सजीले  
मारि पेंग नभ छुइहौं,चुनरिया धानी... 

कोई सखी काशी कोई सखी मथुरा
सुधि मोहें आवे लागे न जियरा
पाती भेजु बुलवइहौं,चुनरिया धानी...

अम्मा औ बाबा की याद सतावे
रहि रहि करेजवा में पीर मचावे
बीरन आजु बुलैहौं,चुनरिया धानी...

आयो सावन मास चुनरिया धानी लैहौं...

 **जिज्ञासा सिंह**

38 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर और गेय कजरी है जिज्ञासा !
    'बीरन आज बुलैहों --' से मुझे फ़िल्म बन्दिनी के गीत -
    'अब के बरस भेज, भैया को बाबुल,
    सावन में ले जो बुलाय रे --'
    की याद आ गयी.

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    1. आदरणीय सर, आपकी सार्थक प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन।

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  2. बहुत सुंदर गीत रचा आपने जिज्ञासा जी। इस पर तो कोई संगीतकार मधुर धुन बना सकता है और फिर किसी कुशल गायिका द्वारा इसे गाया जा सकता है।

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    1. जितेन्द्र जी, आपकी बात सही है, मैने यूट्यूब चैनल बनाया है, मैं गाकर, आगे डालने की कोशिश करूंगी।

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  3. "कोई सखी काशी कोई सखी मथुरा
    सुधि मोहें आवे लागे न जियरा
    पाती भेजु बुलवइहौं,चुनरिया धानी..."

    आपके गीतों में ही सावन को जी ले रहें है हम बाकि तो ये सावन और ये गीत कब के भूल चुकें है सब।
    मनमोहक.....मनभावन गीत.... प्रिय जिज्ञासा जी

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  4. सही कहा प्रिय सखी,ऐसा ही जीवन हो गया है, पर मेरे अंदर जब कुलांचे मारती हैं सावन की घटा,तो गीत बन हो जाते हैं,आपको मेरा सादर नमन एवम।

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  5. सुन्दर कजरी गीत ... अभी सावन पूरी तरह नहीं आया पर आपके इस गेयता लिए गीत ने सावन का एहसास करा दिया है ...

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  6. सरस सुंदर भावों को संजोए ऋतु गीत ।
    कजरी मन मोहक ।

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  7. बहुत बहुत आभार कुसुम जी,सादर नमन।

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  8. वाह!!! बहुत सुंदर। अब गा के भी सुना ही दीजिए। या कहिए तो भेज दें किसी म्यूज़िक प्रडूसर के पास :)

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    1. हा हा,बिलकुल सर जल्दी डालूंगी और आपको सूचित करूंगी,क्योंकि आप का मार्गदर्शन तो गुरु जैसा होता जा रहा है,थोड़ा झिझक थी, पर अब डालूंगी। आपके शब्द प्रेरणा बनते हैं, आपको मेरा सादर अभिवादन।

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  9. वाह! सुंदर सावन गीत जिज्ञासा जी। नारी मन के समस्त भावों को उजागर करता हुआ। हार्दिक शुभकामनाएं।

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    1. बहुत बहुत आभार रेणु जी,आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को सादर नमन।

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  10. बहुत मधुर, बहुत मनभावन, बहुत सुखद.

    अम्मा औ बाबा की याद सतावे
    रहि रहि करेजवा में पीर मचावे

    कजरी के लिए बधाई.

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  11. आपकी सुंदर टिप्पणी मन मोह गई, आपका बहुत बहुत आभार ।

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  12. सावन का मौसम, उसकी दस्तक और कजरी का आनंद ...
    मधुर गुंजन सा ...

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  13. हरे हरे अम्बर,हरी हरी धरती
    हरे हरे बूँद बदरिया झरती
    कजरी गाय सुनैहौं, चुनरिया धानी लैहों...
    अत्यंत ही प्यारी, सावन की बूंदों में भीगी प्यारी सी इस रचना में भिगोने हेतु हृदयतल से आभार आदरणीया जिज्ञासा जी। ।।।।

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  14. बहुत बहुत आभार पुषोत्तम जी,आपका सादर नमन ।

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  15. बहुत ही उत्कृष्ट सावन ऋतु को रेखांकित करता गीत/कविता।हार्दिक शुभकामनाएं जिज्ञासा जी

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    1. आपका बहुत बहुत आभार जयकृष्ण जी, आपकी प्रतिक्रिया गीत को सार्थक कर गई।

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  16. सावन का बहुत सुंदर गीत और बहुत मधुर गायन !!

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  17. अनुपमा जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया गीत को सार्थक कर गई,कभी समय मिले तो मेरे किसी गीत को अपना स्वर दें तो मेरा गीत लेखन धन्य हो जाय, आपका गायन तो लाजवाब है, मैं तो बस शौकिया गाती हूं। कई अपने लोगों ने बहुत बार कहा इसलिए डाल दिया, आपकी प्रशंसा से अभिभूत हो गई। आपका विनम्र आभार।

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  18. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 28 जून 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  19. बहुत सुंदर रचा आपने गीता। सुनकर बढ़ा अच्छा लगा।
    सादर

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  20. आपने इसे गा कर विडिओ पोस्ट किया क्या ? वैसे ये कजरी मुझे अपने बचपन में ले गयी जब सावन के महीने में सारे बच्चे और महिलाएं ( माँ और आस पास की पड़ोसनें ) झुला झुलाते हुए ऐसे ही गीत गातीं थीं ......
    लाजवाब

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  21. जी, दीदी कुछ मित्रों ने कहा कि गाकर डालिए तो गाकर डाला था, आप भी देखिएगा ।आपसे बड़ा मनोबल बढ़ता है आपको मेरा सादर अभिवादन

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