शादी की पचासवीं सालगिरह का गीत (उलाहना गीत )

 तर्ज़ - तार बिजली से पतरे हमारे पिया 

कभी समझे न हमको हमारे पिया

 साथ पच्चास साल गुज़ारे पिया 

मैं फूलों से घर को सजाती रही 
कोने कोने में दीपक जलाती रही 
घर में घुसते ही  जाला निहारे पिया 
हाँ निहारे पिया..हाँ निहारे पिया 
कभी समझे...............

मैं रच बिन के खाना बनाती रही 
और दस्तरख़्वान सजाती रही 
खाना खाते ही कंकड़ निकारे पिया 
हाँ निकारे पिया हाँ निकारे पिया 
कभी समझे ...............

लाख कपड़े धुले औ किए इस्तरी 
अलमारी में दिनभर सजाती रही 
एक सिकुड़न पे आँखें तरेरे पिया 
हाँ तरेरे पिया हाँ हमारे पिया 
कभी समझे................

इनके घर को मैं अपना बनाती रही 
मायके को सदा ही भुलाती रही 
मौक़ा मिलते ही सौ ताना मारे पिया 
हाँ हमारे पिया हाँ हमारे पिया 
कभी समझे .................

जो हुआ सो हुआ जो मिला सो मिला 
न कोई शीकवा न है कोई गिला 
मेरी आँखों में रहना दुलारे पिया 
हम तुम्हारे पिया तुम हमारे पिया 
कभी समझे.....................

**जिज्ञासा सिंह**

25 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 27-11-2020) को "लहरों के साथ रहे कोई ।" (चर्चा अंक- 3898) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

    "मीना भारद्वाज"

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  2. आदरणीय मीना जी ,नमस्कार!
    मेरे गीत को आपने चर्चा अंक में शामिल किया ।जिसका आभार मैं कैसे करूँ?समझ नहीं ।इतनी सुन्दर खुशी देने के लिए शुक्रिया।

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  3. आदरणीय शास्त्री जी,नमस्कार ! आपकी प्रशंसा भरी टिप्पणी का स्वागत है..।आपका आभार..।

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  4. जो हुआ सो हुआ जो मिला सो मिला
    न कोई शीकवा न है कोई गिला
    मेरी आँखों में रहना दुलारे पिया
    हम तुम्हारे पिया तुम हमारे पिया
    –जीवन सार यही... गृह एक ही धुरी सम्भालती...
    –सार्थक भावाभिव्यक्ति
    –उम्दा रचना

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    1. जी दीदी, आपने सही कहा ।ये गीत मैंने अपनी मामी जी की पचासवीं सालगिरह पर लिखा था ,और गाया भी था ।
      आपकी सुन्दर टिप्पणी के लिए आपको मेरा नमन..

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  5. उत्तर
    1. आप ने गीत ब्लॉग को पसंद किया ।ये मेरे लिए सम्मान की बात है ...आपको मेरा अभिवादन..।

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  6. आदरणीय जोशी जी नमस्कार, आपने मेरे गीत ब्लॉग को समय और स्नेह दिया ..जिसका स्वागत करती हूँ..,सादर नमन,,।

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  7. जो हुआ सो हुआ जो मिला सो मिला
    न कोई शीकवा न है कोई गिला
    मेरी आँखों में रहना दुलारे पिया
    हम तुम्हारे पिया तुम हमारे पिया
    बहुत सुंदर।

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  8. आपका प्रेम और स्नेह मेरे गीत के ब्लोग को मिला..।ये मेरे लिए सौभाग्य की बात है..।आपको मेरा सादर अभिवादन...।

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  9. आपका प्रेम और स्नेह मेरे गीत के ब्लोग को मिला..।ये मेरे लिए सौभाग्य की बात है..।आपको मेरा सादर अभिवादन...।

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  10. वाह !लाजवाब सृजन ...

    तार बिजली से पतरे हमारे पिया
    कभी समझे न हमको हमारे पिया...वाह!मन मोह गया आप का गीत।सराहनीय

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    1. अनीता जी ,आपका बहुत बहुत शुक्रिया..।आपके मन को गीत मोह गया,इससे बढ़िया मेरे लिए क्या कहा जा सकता है..।आपको मेरा नमन..।

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  11. शरद जी, आपकी प्रशंसा भरी टिप्पणी से हर्ष हो रहा है..।आपको मेरा नमन..।

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  12. अनायास आई हुई ओंठों पर की मुस्कान रोके नहीं रूक रही । बहुत सुंदर गीत ।

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    1. जी,अमृता जी..ऐसे गीत,गाते वक़्त माहौल बनने पर बड़ा आनंद देते है, और थोडी देर के लिए ही सही ,हम अपनी आपाधापी भरी जिंदगी से दूर होकर सुकून महसूस करते है और मेरे ख्याल से लोकगीतों का मकसद भी यही है..

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  13. आदरणीय सिन्हा जी, प्रणाम..आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया हमेशा हौसला बढ़ा रही है..अपना स्नेह बनाये रखें आपको मेरा नमन..

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  14. बहुत मज़ेदार गीत जिज्ञासा जी। हर नारी के जले दिल की अनकही वेदना और पिया को शाश्वत ताना----
    कभी समझे न हमको हमारे पिया..
    और अंत में इस अनुराग के क्या कहने 👌👌👌👌👌
    रोचकता से भरपूर उलाहना गीत सखी। लिखते रहिये। ये भावी पीढी के लिए अनमोल थाती है🙏 🌷🌷🌹🌹💐💐

    कोई शीकवा न है कोई गिला
    मेरी आँखों में रहना दुलारे पिया
    हम तुम्हारे पिया तुम हमारे पिया

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  15. सच कहूँ रेणु जी, ये जो ताने हैं इनसे कहीं न कहीं, एक न एक बार हर किसी का सामना होता है, ये गीत मैंने अपनी मामी जी की पचासवें सालगिरह पे सरप्राइज गिफ्ट में बनाया था और सच कहूँ तो बड़ा मज़ा आया.आपका हृदय से बहुत आभार..सादर..जिज्ञासा सिंह..

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