रगरि रगरि धोवे गोड़ कहारिन,
अरे नाउन आई बोलाइ, रमन जी कै आजु है नाखुर ।।
दूर देस सखि रंग मंगायंव,
मेहंदी मंगायंव मारवाड़, रमन जी कै आजु है नाखुर ।।
केहू कहे चिरई, तव केहू कहे सुग्गा,
केहू कहे चंदा बनाओ, रमन जी कै आजु है नाखुर ।।
सोनेन की नाऊ लाए हैं नहन्नी,
चांदी सींक सलाई, रमन जी कै आजु है नाखुर ।।
रचि रचि रंग भरे है नउनिया,
मेहंदी लगाई मनुहारि, रमन जी कै आजु है नाखुर ।।
दसरथ दीन्हें हैं अनधन सोनवा,
कौसल्या मोतियन हार, रमन जी कै आजु है नाखुर ।।
झूमि झूमि नाऊ लेहि बलैया,
नाउन नाचें झलकारि, रमन जी कै आजु है नाखुर ।।
**जिज्ञासा सिंह**
शब्द अर्थ
रमन जी : भगवान राम
नाखुर : नाखून कटना
गोड़ : पैर
चिरई : चिड़िया
सुग्गा : तोता
नहन्नी : नाखून काटने का औजार
बलैया : दुआ, आशीर्वाद
झलकारि : झूम झूम, मगन हो
बहुत ही सुंदर और सरहानीय नाखुर गीत!
जवाब देंहटाएंमुझे सभी शब्द के अर्थ मालूम होता है इसलिए पढ़ने में बहुत मजा आता है!
प्रिय मनीषा, जब मैं अकेले में इन्हे गाती,गुनगुनाती हूं,तो मेरी बेटी को भी मधुर और अच्छे लगते हैं,तुम्हारी पीढ़ी अगर इन गीतों को समझेगी,तो ये जरूर लोकप्रिय होंगे। वर्ण धीरे धीरे विलुप्त हो जाएंगे । तुम्हें बहुत प्यार 💐💐
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार
(30-11-21) को नदी का मौन, आदमियत की मृत्यु है" ( चर्चा अंक4264)पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
जी,जरूर सखी !
जवाब देंहटाएंआप इन लोकगीतों को सृजित करने में महती भूमिका निभा रही हैं, आप सबकी प्रेरणा ही इन गीतों को लिखने का आधार है । आपको मेरा नमन और वंदन ।बहुत बहुत शुभकामनाएं 💐💐
अत्यंत आनंदित करने वाली भावों से सुसज्जित रचना
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार आदरणीय🙏💐
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (01-12-2021) को चर्चा मंच "दम है तो चर्चा करा के देखो" (चर्चा अंक-4265) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार आदरणीय सर 💐🙏
हटाएंवाह ... झूम उठा मन
जवाब देंहटाएंजितने सुन्दर शब्द उतनी सुन्दर अभिव्यक्ति ...
आप जैसे साहित्यकार जो पूरी दुनिया में हिंदी को समृद्ध कर रहे हैं, उन्हें अगर लोकगीतों में रुचि है तो निश्चित मेरा सृजन आगे बढ़ेगा । आपको मेरा नमन ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर जिज्ञासा !
जवाब देंहटाएंतुम्हारे लोकगीतों में तो भाव-सरिता और संगीत-सरिता, दोनों ही, एक साथ बहती हैं.
आपका बहुत बहुत आभार । आपकी टिप्पणी से ये लोकगीत
जवाब देंहटाएंलिखना सार्थक हुआ । आपको मेरा नमन ।
बहुत ही सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार मनोज जी ।
हटाएंसुमधुर और मनमोहक लोकगीत । बहुत ही सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार मीना जी की ।
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