आजु प्रणय की रात पिया तुम आ जाना
रंगमहल बीच झलर लगाऊँगी
झिलमिल तकिया मैं सेज सजाऊँगी
फूलन की बरसात, पिया तुम आ जाना
माँग मा मोरे सजी मोतियन लड़ियाँ
छम छम बाजे पिया पैर पैजनियाँ
मेहंदी रची मोरे हाथ, पिया तुम आ जाना
होठ सजे हैं जैसे खिल रहीं कलियाँ
नैनों में छाई पिया, तोरी सुरतिया
बाट जोहे रनिवास, पिया तुम आ जाना
चाँद सितारे सब अँगना उतर आए
दीपक बाती पिया संग हिलमिल आए
जैसे हमारी मुलाकात, पिया तुम आ जाना
सात सुरों से सजा गीत सुनाऊँगी
पिया तेरी बाहों में झूल झूल जाऊँगी
साँसों में घुल जाए साँस, पिया तुम आ जाना
**जिज्ञासा सिंह**
चित्र:साभार गूगल
वाह! बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय विश्वमोहन जी ।
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२२-१०-२०२१) को
'शून्य का अर्थ'(चर्चा अंक-४२२५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
अनीता जी,मेरे इस ब्लॉग पर आपके स्नेह की हृदयतल से आभारी हूं,चर्चा मंच में रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया । शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।
हटाएंबहुत मधुर, मनोरम रचना प्रिय जिज्ञासा जी। प्रेम पर्व की आहट के उपलक्ष्य में, अपने प्रणयी-पुरुष के प्रति प्रेमोन्मत ह्रदय का ये अनूठा प्रीतराग बहुत मनमोहक बन पड़ा है। लौकिक और आलौकिक भावों से सजी रचना के लिए ढ़ेरों शुभकामनाएं और बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका प्रिय रेणु जी, आपकी इस सुंदर अभिव्यक्ति ने गीत को सार्थक बना दिया । आपको मेरा सादर नमन ।
जवाब देंहटाएंआँचलिक पुट लिए प्रणय निवेदन करता सुंदर श्रृंगार गीत,
जवाब देंहटाएंक्या नायिका करवा चौथ पर पी को आने की मनुहार कर रही है?!
बहुत सुंदर सृजन।
बहुत बहुत आभार आपका कुसुम जी, आपकी इस सुंदर अभिव्यक्ति ने गीत को सार्थक बना दिया । आपको मेरा सादर नमन ।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका ।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही मनहर रचना
जवाब देंहटाएंभारती जी आपका बहुत बहुत आभार ।
हटाएंवाह!जिज्ञासा जी ,बेहतरीन सृजन ।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार शुभा जी ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गीत...
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ।
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