नटखट कृष्ण कन्हैया प्यारा


जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ 
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नटखट कृष्ण कन्हैया प्यारा
जसुदा माँ का राजदुलारा

जनम लिया वो कारागर में
काली आधी रात प्रहर में
सुंदर नैना वर्ण है कारा

घन बरसात भरी जमुना है
नंद के शीश चढ़े कान्हा है
चरण छुए जमुना जल हारा

गोकुल चले देवकी के सुत
रूप सलोना मोहनि मूरत
जसुदा की आँखों का तारा 

माखन चोर, मटकियाँ फोरी
रास रचावे राधा गोरी
गोकुल जन का प्राण पियारा

धेनु चराई, नाग नथाया
पर्वत एक उँगली पे उठाया
झूम उठा जन जीवन सारा

उस की लीला वो ही जानें
दिखे सदा बस मुरली ताने
मुरलीधर पे ये जग वारा

  **जिज्ञासा सिंह**

हरियाली तीज


चूनरी है हरी पहनी,माँग सेंदुर लगाया है,
मैंने आँखों में अपने आज, वो सुरमा लगाया है ।
जो साजन जी मेरे जाकर, बरेली से ले आए थे, 
औ मोती से जड़ा कंगन, वो जयपुर से मंगाए थे ।।

मेरे माथे सजा झूमर, पिया का जी लुभाता है,
कान में झूलता झाला, गीत यूँ गुनगुनाता है ।
कि प्राणों से पियारी तुम, सखी हो, सहचरी मेरी,
तुम्हारे सामने अर्पण, हमारे प्रेम की ढेरी ।।

वो ढेरी आत्मा के सूत्र को, तुमसे पिरोती है,
प्रेम में डूबकर सजनी, सजन में आज खोती है ।
तीज त्योहार रंगों से, सजाए गोरी का दामन,
सजेगी आज फिर सजनी,सजाएंगे उसे साजन ।।

बड़े अरमान से सासू ने, तोहफ़ा ये दिया मुझको, 
कहा आशीष देकर तुम,बड़ी प्यारी हो हम सबको ।
सदा गौरा के जैसे प्रेम, तुमको दें महाशंकर,
भरा आँचल रहे तेरा, ख़ुशी झूमे तेरे दर पर।। 

**जिज्ञासा सिंह**

सावन के हिंडोले (लोकगीत)


मन मोरा झूला झूले है हिंडोले रे
हिंडोले में हिंडोले में
मन मोरा झूला झूले है हिंडोले रे

अंखियाँ जो मूंदू,सपना मैं देखूँ 
रेशम लगीं डोरी हिंडोले रे
मन मोरा झूला...

माथे पे बिंदिया, कानों में कुंडल
नाक में नथिया डोले रे
मन मोरा झूला....

हरी हरी चुनरी,पहन के निकली
पिया मोरे कानों में बोले रे
मन मोरा झूला...

हर बगिया में देखो झूले पड़े हैं 
मार पेंग नभ छूलें रे
मन मोरा झूला...

सखियाँ सहेली सब दूर खड़ी 
और पिया मोरे संग संग झूले रे

मन मोरा झूला झूले है हिंडोले रे

**जिज्ञासा सिंह**