आइ गए चैत नवरात
चलो री सखी देवी मनाइ लेइ
देवी से माँग लेई बिद्या बुद्धि
मन का माँग लेइ तनिक सुद्धि
माँग लेइ रोजी रोजगार
बलक नौकरिया भी माँग लेइ।।
करम परिस्रम का देहियाँ भी माँग लेइ
अम्मा औ बाबा की उमरिया भी माँगलेइ
माँग लेइ सबही के स्वास्थ
हँसन का सखियाँ भी माँग लेइ।।
नदियाँ माँगी, नहरिया भी माँग लेइ
चिड़िया चिरंगुल, तितुलिया भी माँग लेइ
माँग लेइ बगिया दुआर
अँगन फुलवरिया भी माँग लेइ।।
जग सुख से सखी, सब सुख होइहैं
बिद्या औ बुद्धि सखी सब सुख लइहैं
आगे बढ़ी देसवा हमार
धिरज संतोसवा भी माँग लेइ ।।
आइ गए चैत नवरात
चलो री सखी देवी मनाय लेइ।
**जिज्ञासा सिंह**
वाह! श्रृद्धा और भक्ति से ओत-प्रोत आँचलिक भाषा का गीत, बहुत सुंदर जिज्ञासा जी।👌
जवाब देंहटाएंआपकी प्रशंसा ने गीत को सार्थक कर दिया ।
हटाएंअपना बहुत आभार कुसुम जी ।
*अपना/आपका
हटाएंमीठी लोक भाषा में अद्भुत श्रद्धा भाव निवेदन। बधाई और आभार।
जवाब देंहटाएंआपकी प्रशंसा ने गीत को सार्थक कर दिया ।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत आभार आदरणीय विश्वमोहन जी ।
माता गीत लोकभाषा में अति सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार दीदी।
हटाएंनवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ
बहुत बहुत आभार दीदी ।
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई ।
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (06-04-2022) को चर्चा मंच "अट्टहास करता बाजार" (चर्चा अंक-4392) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' --
रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार । सादर अभिवादन सहित, मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत !
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार ।
हटाएंबहुत ख़ूब, देवी माँ से अपने लिए, परिवेश के लिए गाँव-शहर के लिए, सबके लिए हित की कामना से भरी सुंदर प्रार्थना
जवाब देंहटाएंआपकी सार्थक प्रतिक्रिया का आभार दीदी ।
हटाएंआंचलिक भाषा में बहुत ही सुंदर देवी सुमिरन,सादर नमन जिज्ञासा जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार प्रिय कामिनी जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रार्थना
जवाब देंहटाएंबहुत आभार मनोज जी ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार आदरणीय।
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