करि सोलह सिंगार, पिया जी की राह निहारूँ ।
दर्पण देखूँ, देखि लजाऊँ ।
अपने पिया की छवी सजाऊँ ।
जैसे राजकुमार, पिया जी की राह निहारूँ ।।
सिर पे पगड़ी, बाँधी होगी ।
टीका चंदन रोली होगी ।।
अँखियाँ करेंगे कजरारि, पिया जी की राह निहारूँ ।।
हाथी घोड़ा साज पिया जी ।
सोलह कहारों वाली पलकी ।।
बैठ के आएँगे द्वार, पिया जी की राह निहारूँ ।।
मुझको निहारेंगे साजन जी ।
दिल में बसाएँगे साजन जी ।।
डालेंगे जयमाल, पिया जी की राह निहारूँ ।।
हमरी बिंदिया, हमरा कजरा ।
हमरी नथिया, हमरा गजरा ।।
उनसे सब सिंगार, पिया जी की राह निहारूँ ।।
करि सोलह सिंगार, पिया जी की राह निहारूँ ।।
**जिज्ञासा सिंह**
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सर 👏💐
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सरस और भावपूर्ण गीत प्रिय जिज्ञासा जी। दुल्हन के मनोभावों को बड़ी सार्थकता से अभिव्यक्त किया है आपने। सादर आभार और शुभकामनाएं आपको ❤️❤️💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सखी ।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (09-02-2022) को चर्चा मंच "यह है स्वर्णिम देश हमारा" (चर्चा अंक-4336) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा मंच में गीत के चयन के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय सर ।आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।
हटाएंदुल्हन के मन के भावों को सुंदर गीत में ढाला है ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी ।
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत गीत।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अनुराधा जी ।
हटाएंआपका गीत पढ़कर हम तो सीधे उसी दरवाजे पर जाकर खड़े हो गए दोबारा ...वाह जिज्ञासा जी अद्भुत मनोभावों का सटीक वर्णन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अलकनंदा जी ।
हटाएंसुंदर गीत
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत लिखा।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बहुत आभार अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंमनभावन जयमाल गीत
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका अनीता जी ।
हटाएंदुल्हन के मन के भाव को बहुत ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया है आपने! मंडप और दुल्हन की तरह बहुत ही खूबसूरत रचना! एक-एक पंक्ति बहुत ही खूबसूरती से पिरोया है आपने मैम 💐
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार प्रिय मनीषा ।
जवाब देंहटाएंप्रेम और श्रृंगार रस में डूबी सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंमन के भावों को जैसे पंख लगा दिए और आसमां में विचरण के लिए छोड़ दिया ...
बहुत बहुत आभार आपका ।
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