तिरंगा चुनरी (गणतंत्र दिवस पर विशेष )

पहनी तिरंगा चुनरिया 
सजन मोहे लागी नजरिया 

चुनरी मोरी बंगाल से आई 
बाबू सुभाष नगरिया 
सजन मोहे लागी नजरिया 

लहंगा मोरा गुजरात से आया 
गाँधी पटेल नगरिया 
सजन मोहे लागी नजरिया 

चुनरी पहन मैं जिधर को जाऊँ 
घूम घूम देखे सजनिया
सजन मोहे लागी नजरिया 

हर सजनी सजना से माँगे 
मोरी तिरंगा चुनरिया 
सजन मोहे लागी नजरिया 

चाहे पिया छोड़ो चाहे मोहे राखो 
हम नाहीं देहैं जे चुनरिया 
सजन मोहे लागी नजरिया 

ई चुनरी मोहे जान से प्यारी 
भारत देश निशनियाँ 
सजन मोहे लागी नजरिया 

दूर देस जइहैं गोरी पैसा कमइहैं 
लै अइहैं लाख चुनरिया 
सजन मोहे लागी नजरिया 

अपनी सखिन का तुम बाँट दीजो 
लाख तिरंगा चुनरिया 
सजन मोहे लागी नजरिया 

पहन ओढ़ के निकली हैं गोरिया 
देशप्रेम की डगरिया
सजन मोहे लागी नजरिया 

पहनी तिरंगा चुनरिया 
सजन मोहे लागी नजरिया 

**जिज्ञासा सिंह** 


अवधी लोकगीतों में सुभाष बाबू

मेरी चाचीदादी द्वारा रचित लोकगीत, महान देशभक्त आदरणीय नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन पर पेश कर रही हूँ..एक गाँव की भोली भाली महिला की सच्ची श्रद्धांजलि..

बाबू सुभाषचंद्र बोस हमारी गलियों से निकल गए 

बागों में आए बगीचों में आए 
कर के वो मलिया से बात 
मलिनिया से छुप के निकल गए 
बाबू...

कुअना पे आए जगतिया पे आए 
कर के वो महरा से बात 
महरिनिया से बच के निकल गए 
बाबू...

तालों पे आए नहरिया पे आए 
करके वो धोबी से बात 
धोबिनिया से छुप के निकल गए 
बाबू...

महलों में आए दुमहलों में आए 
कर के वो राजा से बात 
औ रानी से बच के निकल गए 
बाबू...

**जिज्ञासा सिंह**