मैं दर्पण बहाने देखूँ ॥
कारी कारी अँखियों में प्रीति बसी है,
अधरों पे मुस्कान ऐसी सजी है,
जैसे कोयल है गाए तराना,
मैं फूलन बहाने देखूँ ॥
मैं राधा रानी, बनूँ तेरी रानी,
जग में अमर होगी अपनी कहानी,
कान्हा मेरे हृदय बस जाना,
मैं धड़कन बहाने देखूँ ॥
बहियाँ पकड़ कान्हा साथ चलूँगी,
बनके बसुरिया मैं रोज बजूँगी,
तुम जमुना किनारे आना,
मैं गउअन बहाने देखूँ ॥
कुंज गलिन में, सखियाँ बुलाऊँगी,
रास रचाऊँगी, तुमको रिझाऊँगी,
तुम माखन चुराने आना
मैं ग्वालन बहाने देखूँ ॥
**जिज्ञासा सिंह**
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 23 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
"पांच लिंकों का आनन्द" में रचना के चयन के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी । मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🌹
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कलमंगलवार (21-8-22} को "मेरे नैनों में श्याम बस जाना"(चर्चा अंक 4530) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत आभार कामिनी जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत मधुर प्रणय गीत।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय।
हटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार हरीश जी ।
हटाएंसुंदर , मनमोहक गीत ।।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी।
हटाएंबहुत सुंदर गीत।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार प्रिय अनीता जी।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका।
हटाएंसुन्दर गीत
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय दीदी।
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय गीत।
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