आजी के देवता.. लोकगीत

 

न भूले न भूले न भूले रे
मोहे आजी के देवता न भूले रे॥

आजी के देवता बिरवना बिराजें।
आजी के देवता फुलववा बिराजें 
पाती-पाती देवी औ साखा-साखा देवा
तुलसी बियहवा न भूले रे॥

रहिया चलत आजी कौआ मनावें
गइया बछउआ कुतउआ मनावें
सबही म देवता सबही म पुरखा
कुआँ-बगिया गवनवा न भूले रे॥

बढ़नी औ झाड़ू लय नजर उतारें
सिलबटिया न्योछावर उवारें
मूसर ओखरिया खैलर डलउआ
जले दियना सुपउआ न भूले रे॥

जर और बोखार आजी निमियाँ मनावें
पेटवा पिराय आजी सुरजा मनावें
नैहर आवें जो बुआ औ बहिनिया
गुड़ लौंग ढरकौना न भूले रे॥

जिज्ञासा सिंह

11 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! जिज्ञासा जी ,बहुत खूबसूरत लोकगीत !

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द रविवार 20 अक्टूबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  3. जिज्ञासा जी, आपकी बदौलत लोकगीतों की सहज मिठास हम तक पहुँचती है। इस दौलत का कोई पर्याय नहीं। उपदेश नहीं, जीवनचर्या का सहज उपक्रम हैं ये। ये दिल मांगे मोर !

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    1. इतनी सुंदर सार्थक प्रतिक्रिया के लिए बहुत आभार प्रिय सखी।

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  4. अपनी संस्कृति की झलक समेटे बहुत सुन्दर लोक गीत। वैसे तो लोक गीत तो अब कम ही सुनने को मिलते हैं।
    आभार।

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  5. रहिया चलत आजी कौआ मनावें
    गइया बछउआ कुतउआ मनावें
    सबही म देवता सबही म पुरखा
    कुआँ-बगिया गवनवा न भूले रे॥
    लोकगीतों में हमारी पुरातन संस्कृति झलकती है ।
    बहुत सुन्दर लाजवाब

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