(१) चुपके चुपके आईं, भवानी मोरे अँगनवाँ
भोर भये रवि आने से पहले,
देख नहीं मैं पाई, भवानी मोरे अँगनवाँ
बाग हँसन लगे, कमल खिलन लगे
कलियाँ हैं लहराईं, भवानी मोरे अँगनवाँ
गोदिया बालक हँसि मुस्काने
मोहें नज़र नहीं आईं,भवानी मोरे अँगनवाँ
व्याकुल मन मोरा माँ को ढूँढ़े
दिख जाए परछाईं, भवानी मोरे अँगनवाँ
मन देखा, अंतर्मन देखा
हृदय बीच मुस्काईं, भवानी मोरे अँगनवाँ
नेह औ श्रद्धा की छवि सुंदर
नैनन बीच समाईं, भवानी मोरे अँगनवाँ
चुपके-चुपके आईं, भवानी मोरे अँगनवाँ
(२) सारे नगर मची धूम जगदंबे आइँ
गाँव-शहर मची धूम माँ दुर्गे आइँ
पेड़ पकड़िया सब हर्षाने
चलीं हवाएँ झूम-झूम जगदंबे आइँ
नदियाँ बहन लगीं कुआँ भरन लगे
बादल बरसा घूम-घूम जगदंबे आइँ
अपनी अँटरिया पे चढ़ि-चढ़ि देखूँ
जयकारे नभ रहे चूम जगदंबे आइँ
आगे-आगे मैया पीछे संसार चले
अगल-बगल चले झुंड जगदंबे आइँ
जनगण मैया की अरती उतारें
बाजन बाजे बूम-बूम, जगदंबे आइँ
सारे नगर मची धूम जगदंबे आइँ ॥
**जिज्ञासा सिंह**