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नटखट कृष्ण कन्हैया प्यारा
जसुदा माँ का राजदुलारा
जनम लिया वो कारागर में
काली आधी रात प्रहर में
सुंदर नैना वर्ण है कारा
घन बरसात भरी जमुना है
नंद के शीश चढ़े कान्हा है
चरण छुए जमुना जल हारा
गोकुल चले देवकी के सुत
रूप सलोना मोहनि मूरत
जसुदा की आँखों का तारा
माखन चोर, मटकियाँ फोरी
रास रचावे राधा गोरी
गोकुल जन का प्राण पियारा
धेनु चराई, नाग नथाया
पर्वत एक उँगली पे उठाया
झूम उठा जन जीवन सारा
उस की लीला वो ही जानें
दिखे सदा बस मुरली ताने
मुरलीधर पे ये जग वारा
**जिज्ञासा सिंह**