आजु प्रणय की रात


आजु प्रणय की रात पिया तुम आ जाना

रंगमहल बीच झलर लगाऊँगी
झिलमिल तकिया मैं सेज सजाऊँगी
फूलन की बरसात, पिया तुम आ जाना

माँग मा मोरे सजी मोतियन लड़ियाँ 
छम छम बाजे पिया पैर पैजनियाँ 
मेहंदी रची मोरे हाथ, पिया तुम आ जाना

होठ सजे हैं जैसे खिल रहीं कलियाँ 
नैनों में छाई पिया, तोरी सुरतिया
बाट जोहे रनिवास, पिया तुम आ जाना

चाँद सितारे सब अँगना उतर आए
दीपक बाती पिया संग हिलमिल आए
जैसे हमारी मुलाकात, पिया तुम आ जाना

सात सुरों से सजा गीत सुनाऊँगी
पिया तेरी बाहों में झूल झूल जाऊँगी
साँसों में घुल जाए साँस, पिया तुम आ जाना

**जिज्ञासा सिंह**
चित्र:साभार गूगल 

रघुकुल वंशज कौन बने ? (भजन)

                    
कि रघुकुल वंशज कौन बने ?
अवधपुर सोचे मन अपने ।।
कि रघुकुल वंशज कौन बने ? 

राजा दशरथ जी का महल है सूना,
माताओं का आँचल सूना,
आस लगी बुझने ।
कि रघुकुल वंशज कौन बने ?

नृप नरेश सब न्योत बुलाओ,
ऋषिन बुलाओ, क्षेम कराओ
पूजा यज्ञ ठने ।
कि रघुकुल वंशज कौन बने ?

भर प्रसाद एक दिव्य कलश में,
ग्रहण करो राजा दशरथ ने,
पुत्र हुए कुल में ।
कि रघुकुल वंशज कौन बने ?

राम लक्ष्मण भरत शत्रुहन,
तीनों रानी जन्में लालन,
पूरे हुए सपने ।
कि रघुकुल वंशज कौन बने ?

**जिज्ञासा सिंह**

शारदे मुझको दो वरदान

शारदे मुझको दो वरदान ।।

कल तक मैं भूली भटकी थी,
तुमसे थी अंजान ।।

वीणा पाणिनि तेरी विद्या का,
जग करे बखान ।।

अम्बर से भी ऊँचा मन में,
है तेरा स्थान ।।

मानव ज्ञान तुम्हीं से पाते,
मिट जाता अज्ञान ।।

जिन्हें तुम्हारा मान न भावे,
वे मूरख नादान । 

ज्ञान, धैर्य माँ संयम देना,
मत देना अभिमान ।।

शारदे अब तो दो वरदान ।।

**जिज्ञासा सिंह** 

हे जगत जननी जगदम्बा ( लोकगीत )

हे जगत जननी जगदम्बा, हम द्वार तिहारे आए हैं ।

इस दुनिया के सारे प्राणी, जलचर, नभचर या थलचर हों,
तेरी कृपा के आगे नित, सब शीश झुकाने आए हैं ।।

चाँद-सितारे दिखते हैं पर, दिखती नहीं छवी तेरी माँ,
 कर कमलों से पंचतत्व की, मूर्ति बनाकर लाए हैं ।।

इस पृथ्वी ने और प्रकृति ने, है श्रृंगार किया हाथों से,
मांग सिंधु से अमृतधारा, चरण धुलाने आए हैं ।।

सूरज चंदा की ज्योति ले, दीपों में है जोति जगाई,
शंख और मंगल भजनों संग, उंजियारा ले आए हैं ।।

यही प्रार्थना हर प्राणी की, जग में व्याप्त विपत हर लो,
भटके हुए हृदय की खातिर, राह मांगने आए हैं ।।

हे जगत जननी जगदम्बा, हम द्वाए तिहारे आए हैं ।।

**जिज्ञासा सिंह**