इस ब्लॉग में मैंने स्वरचित लोकगीतों को उद्घृत किया है ,जो उत्तर भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा हैं -
देवी गीत
ग्राम पंचायत चुनाव (स्त्री विमर्श -लोकगीत)
तुमको वोट न देबै, चाहे हम नोटा पे डाल आई रे,
पिछली बार हम तुमको जितायों
कालोनी, कैट्टेल कुछू नाहीं पायों
गलियन में भरा मोरे कचरा, प्रधान जी कीचड़ में फँस गई रे ।
तुमको............।।
किसी के दुआरे पे सोलर लगा है
किसी के दुआरे खडंजा गड़ा है
हमरे दुआरे भरा गड्ढा, प्रधान जी सड़कें भी धँस गई रे ।
तुमको...........।।
अपना तुम रहो बाबू महला दुमहला
हमरी झोपड़िया में पानी चुए ला
भीग जाय मोरी चदरिया, मैं रात दिन पानी उलच रही रे ।
तुमको..........।।
तुम से कहा राशन कार्ड बनवा दो
मनरेगा में काम दिला दो
सास,ससुर दोनो बूढ़े, प्रधान जी पेंशन भी रुक गई रे ।
तुमको............।।
पड़ा चुनाव तब तुमका मैं देखी
नाहीं तो तुम हो जाओ विदेसी
ढूँढ़न कहाँ तुम्हें जाऊँ, प्रधान जी मैं तो हूँ कम पढ़ी रे ।
तुमको............।।
अबकी बार हम उसको जितावें
गांव की उन्नति जो कर के दिखावे
हर दम सुने मोरी बात, अभी तक धोखे में पड़ी रही रे ।
तुमको.............।।
गाँव का रूप बदलना होगा
स्वच्छ मोहल्ला करना होगा
तभी मिलेगा मेरा वोट,वरन मैं तो मैके को जाय रही रे
तुमको...…......।।
**जिज्ञासा सिंह**