इस ब्लॉग में मैंने स्वरचित लोकगीतों को उद्घृत किया है ,जो उत्तर भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा हैं -
पिचकारी और सारी
रंगरंगीला होली गीत
होली रंगन का त्योहार बलम जी खेलन जइबे आज ।
सात मेर के रंग मंगइबे, बीच आँगन मा कुंड खोदैबे
रंग देब घुलवाय, बलम जी खेलन जइबे आज
होली रंगन ...
सखियाँ सहेली सबै बोलैबे, बीच आँगन म तुम्हें घेरैबे
तुमका देब गिराय, बलम जी खेलन जइबे आज
होली रंगन ...
चाहे पिया भागो,चाहे लुकाओ, चाहे जेतना तुम शोर मचाओ
रंग मा देब डुबाय, बलम जी खेलन जइबे आज
होली रंगन...
भाँग पीस शर्बत बनवैबे, लौंग इलायची सौंफ मिलैबे
तुमका देब पिलाय, बलम जी खेलन जइबे आज
होली रंगन ...
गुझिया गुलगुला रची के बनैबे, सखा सहेलिन ख़ूब खिलैबे
गठरी देब बँधाय, बलम जी खेलन जइबे आज
होली रंगन...
ढोल मजीरा ख़ूब बजैबे, नाच गाय तुमका दिखलैबे
फगुआ देब सुनाय, बलम जी खेलन जइबे आज
होली रंगन...
**जिज्ञासा सिंह**
फगुनिया ओढ़नी
गौरैया ( गौरैया दिवस-लोकगीत )
मेरे घर आना, तू प्यारी गौरैया ।
शोर मचाना, तू प्यारी गौरैया ।।
तोता को लाना, मैना को लाना
बुलबुल को लाना, तू प्यारी गौरैया ।।
मेरे घर...
पेड़ लगाऊँगी, पकड़िया लगाऊँगी
घोसला बनाना, तू प्यारी गौरैया ।।
मेरे घर...
दाना भी दूँगी, तुम्हें पानी भी दूँगी
ख़ूब नहाना, तू प्यारी गौरैया ।।
मेरे घर...
ख़ूब बड़ा सा है, मोरा अँगनवाँ
फुदक फुदक जाना, तू प्यारी गौरैया ।।
मेरे घर...
मोरे अंगनवाँ में झूला पड़ा है
झूलझूल जाना, तू प्यारी गौरैया ।।
मेरे घर...
शाम सवेरे मैं, तुमको निहारूँगी
हँस बतियाना, तू प्यारी गौरैया ।।
मेरे घर...
रोज़ सुबह तुम, मुझको जगाना
गाके मधुर गाना, तू प्यारी गौरैया ।।
मेरे घर...
पर्यावरण की तुम हो सहेली
रूठ नहीं जाना, तू प्यारी गौरैया ।।
मेरे घर...
**जिज्ञासा सिंह**