अपने बपैया की मैं बहुत दुलारी,
अम्मा की बड़ी मैं पियारि रे।
नान्हेन से बापू दिल मा बसावें,
अम्मा करें मनुहारि रे ॥
अम्मा कहें बेटी खूब पढ़इबे,
बाबा कहें बी ए पास रे।
दादी कहयँ बेटी घर से ही पढ़िहैं,
बेटी क जियरा उदास रे॥
दादी कहैं बेटी बगल बियहिहैं ,
होई जैहैं यहीं आबाद रे।
अपने देश बेटी सब कुछ मिलिहैं,
मिल जैहें दुलरू दमाद रे॥
एतनी बचन सुन बेटी जे रूठीं,
रोवन लागीं ओढ़नी फेकार रे।
अँसुवन से भरी सूखी तलरिया,
बही चली नदिया कछार रे॥
चिरई जे रोवें, चिरंगुल रोवें,
पेड़ पकड़िया दुआर रे ।
खूंटे पे बंधे गाय गोरू जे रोवें,
रोवें खेत खलिहान रे ।।
कहे क जन्म दिहिव मोरी अम्मा,
काहे क दुनिया देखाव रे।
हम तव पढ़िहैं तबहि जग रहिहैं,
नाहीं तव देहौं प्रान त्याग रे॥
पटकि पटकि मुड़ रोवहि मोरी बेटी,
बाप कवहियाँ के ठाढ़ रे।
रोवत बेटी क हिय से लगावहिं,
अँसुवन पोछहिं रुमाल रे॥
मति रोवो बेटी मैं दादी समझैहौं,
बेटी जनम अहोभाग रे।
बेटी के पढ़िबे से दुइ कुल पढ़िहैं,
बनि जैहैं सुघर समाज रे॥
**जिज्ञासा सिंह**
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (20-04-2022) को चर्चा मंच "धर्म व्यापारी का तराजू बन गया है, उड़ने लगा है मेरा भी मन" (चर्चा अंक-4406) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' --
आदरणीय शास्त्री जी, नमस्कार !
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच में रचना के चयन के लिए आपका हार्दिक आभार । मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार ओंकार जी ।
हटाएंसामाजिक सरोकार पर सुंदर गेय रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अनीता जी ।
हटाएंबहुत ही सुन्दर हृदयस्पर्शी विवाह गीत...
जवाब देंहटाएंबेटी के पढ़िबे से दुइ कुल पढ़िहैं, बनि जैहैं सुघर समाज रे॥
बहुत सटीक।
बहुत आभार सुधा जी । इस ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति सदैव मनोबल बढ़ाती है ।
हटाएंजिज्ञासा जी, बहुत सरल और मीठा गीत संवाद ।
जवाब देंहटाएंब्याह की सारी मिठाई न्यौछावर!
बहुत बहुत आभार नूपुर जी । तारीफ़ के लिए बहुत शुक्रिया ।
हटाएंभाषा चाहे कोई भी हो भाव दिल को छू ही लेते हैं।
जवाब देंहटाएंवाह!!
अपने बपैया की मैं बहुत दुलारी,अम्मा की बड़ी मैं पियारि रे।
नान्हेन से बापू दिल मा बसावें, अम्मा करें मनुहारि रे ॥.. वाह!!
बहुत बहुत आभार अनीता जी ।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका ।
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