चलो गुइयाँ सिव का मनाय लेई
बड़ी बिपदा है आई ।
कि हाँ जग छिड़ गइ लड़ाई ।।
हमने कही सखि सब जग अपना
जादा के तू नाहीं देखव सखी सपना
का मिलिहैं का लइके जैहैं
खाली हाथ जग जाई ।।
खग औ बिहग सबै केउ ब्याकुल
देस बिदेस हर एक कुनबा कुल
अइसा जुद्ध जे छेड़े बिदेसी
हमरी आँख भर आई ।।
नान्हें नान्हें लड़िका धुआँ सने हैं
घर फुलवरिया जले पड़े हैं
मर्द मेहरुआ सब मरि कटि जाएँ
ऐसी मिसाइलि चलाई ।।
यहि संसार गुमान भरा है
साँति औ संयम संदेस हमरा है
नाहीं तो दुनिया है बम पर बैठी
सीधे सरग का जाई।।
हम अपने सिव का सबै कुछ बतइबै
गलती क अपने क्षमा माँगि अइबै
हमरे देस ऐसी बिपदा न डारेव
तोहरे सरण भोले आई ।।
हमरे त भोले सखी बड़ बड़ दानी
दुनिया की वय समझयं नादानी
जे केउ उनके सरण म आवे
सबकी मुसीबत मिटाई ।।
कि हाँ जग छिड़ गइ लड़ाई ।।
**जिज्ञासा सिंह**
शब्द: अर्थ
गुइयाँ: सखी, सहेली
सरग: स्वर्ग
मेहरूआ: स्त्री, औरत
सरण: शरण
साँति: शांति