जोति जले तुलसी छैयाँ
ओ रामा जोत जले है।
जगमग करे है डगरिया
हो रामा गाँव जगे है ।।
पपिहा गावे दादुर गावे,
गीत सुनावे कोयलिया
ओ रामा मोर नचे है ।।
एकादशी की छाई है तरई,
दूर दिखे है उँजेरिया
हो रामा चाँद छुपे हैं ।।
आओ सखी आओ दियना जराओ,
कटि जाय रैन अँधेरिया
सुरज कहीं दूर बसे हैं ।।
एकहि जोति तिमिर घन काटे,
जैसे अंबर म चँदनिया
हो रामा छाई दिखे है ।।
जोति जले पीपल छैयाँ,
हो रामा जोति जले है ।।
**जिज्ञासा सिंह**
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार
(16-11-21) को " बिरसा मुंडा" (चर्चा - 4250) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
सुप्रभात सखी कामिनी जी, चर्चा मंच पर रचना को प्रकाशित करने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन । आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।
हटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति प्रिय जिज्ञासा जी। दीप प्रज्ज्वलन हमारी सनातन संस्कृति का मूल आधार है। आरती में दीप, सुबह दीप, संध्या में दीप, पितरों के लिए दीप, पीपल-बड़तले दीप, जन्मदिन से लेकर अंतिम यात्रा सबमें दीप का बहुत महत्व है पर कार्तिक मास में तुलसी के चौरे के दीपक की आभा का क्या कहना!! इस गुलाबी मौसम में मानों दीपक की आभा अपने शिखर पर होती है और दीप को देखकर सखियों के मन से रागिनी न फूटे, हो नहीं सकता। भावपूर्ण लोकरंग रंगे गीत हेतु हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आपको। देव उठनी एकादशी पर विशेष शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआपकी सुंदर समीक्षा ने तो रचना को सार्थक बना दिया । कितना नायाब चिंतन है किसी भी रचना पर आपका । आपको मेरा मन और वंदन ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर गीत
जवाब देंहटाएंबहुत आभार और स्नेह प्रिय मनीषा ।
हटाएंसुंदर गीत आ0
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अनीता जी ।
हटाएंएकहि जोति तिमिर घन काटे, जैसे अंबर म चँदनिया। बहुत सुंदर गीत रचा है जिज्ञासा जी आपने। भारतीय ग्राम्य संस्कृति तथा परम्पराओं का स्मरण करवाता हुआ देवोत्थान एकादशी के अवसर पर पूर्णतः सामयिक गीत है यह। अभिनंदन आपका।
जवाब देंहटाएंजी,जितेन्द्र जी । त्योहारों के सीजन में वही भाव भी रहता है । आपने रचना को सार्थक कर दिया ।
हटाएंसुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अंकित जी ।
हटाएंबहुत सुन्दर गीत जिज्ञासा !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय सर, आपको मेरा सादर नमन ।
जवाब देंहटाएंबहुते सुंदर।🌻
जवाब देंहटाएंजय हो तुलसी मैया।
बहुत बहुत आपका शिवम जी।
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार मनोज जी ।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन जिज्ञासा जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शुभा जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय विश्वमोहन जी । आपकी प्रशंसा को नमन ।
जवाब देंहटाएं