जिज्ञासा के गीत
इस ब्लॉग में मैंने स्वरचित लोकगीतों को उद्घृत किया है ,जो उत्तर भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा हैं -
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घर पिछवारे परा अँधेर.. अवधी लोकगीत
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घर पिछवारे परा अँधेर घर पिछवारे रहयँ गरीबिन नाउन धोबिन लोधिन महरिन सुनौ सास तनी देखि के आओ काहे दियना नाहीं बारिन गौधिरका कय आई बेर कलिहाँ ...
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आजी के देवता.. लोकगीत
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न भूले न भूले न भूले रे मोहे आजी के देवता न भूले रे॥ आजी के देवता बिरवना बिराजें। आजी के देवता फुलववा बिराजें पाती-पाती देवी औ साखा-साखा ...
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अगल-बगल नाहीं स्कूल
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अगल-बगल नाहीं स्कूल मुनिया आपन कहाँ पढ़ाई बैठ दुआरे झंखत बाटीं नन्हकइया बड़कइया क माई पारसाल ईंटा गिरगा सीमिंट अबहिं नाहीं आई लागत है ...
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राम मोरे सपन म आए
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रघुकुल मणि राम मोरे सपन म आए छवि देखूँ अविराम मोरे सपन म आए मलयागिरी माथे चंदन है चंदन दोऊ नैना रत्नार कजरा हैं रुचिर लगाए पवन बहे बेगि ...
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बलमवा बढ़िया चाही (लोकगीत)
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काजल देवी की जय हो! जन्मदिन की बधाई❤️🌹 साँवरि सूरत मोहनि मूरत नइना करें कमाल, बलमवा बढ़िया चाही। मोरे मन की सुन लो अम्मा, तुम्हें बताऊँ हाल...
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दिवाली गीत
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बिंदिया जो सोहे लिलार नयन कजरार देहरी करे उजियार सखी देखो सुन्नर नार। साँझ पहर आजु तिमिर भगावे करि आवाहन दैव बोलावे थाल सजावे दीपक बाती रा...
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चैती लोकगीत
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(१) सइयाँ खिसियाने.. भितर डेवढ़िया सासू सोइ गईं रामा, सइयाँ खिसियाने॥ खन खन बोले मोरे हाथे के कंगनवाँ, पाँव सजी बोले पैजनियाँ हो रामा, सइयाँ...
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