जिज्ञासा के गीत
इस ब्लॉग में मैंने स्वरचित लोकगीतों को उद्घृत किया है ,जो उत्तर भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा हैं -
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राम मोरे सपन म आए
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रघुकुल मणि राम मोरे सपन म आए छवि देखूँ अविराम मोरे सपन म आए मलयागिरी माथे चंदन है चंदन दोऊ नैना रत्नार कजरा हैं रुचिर लगाए पवन बहे बेगि ...
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बलमवा बढ़िया चाही (लोकगीत)
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काजल देवी की जय हो! जन्मदिन की बधाई❤️🌹 साँवरि सूरत मोहनि मूरत नइना करें कमाल, बलमवा बढ़िया चाही। मोरे मन की सुन लो अम्मा, तुम्हें बताऊँ हाल...
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दिवाली गीत
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बिंदिया जो सोहे लिलार नयन कजरार देहरी करे उजियार सखी देखो सुन्नर नार। साँझ पहर आजु तिमिर भगावे करि आवाहन दैव बोलावे थाल सजावे दीपक बाती रा...
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चैती लोकगीत
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(१) सइयाँ खिसियाने.. भितर डेवढ़िया सासू सोइ गईं रामा, सइयाँ खिसियाने॥ खन खन बोले मोरे हाथे के कंगनवाँ, पाँव सजी बोले पैजनियाँ हो रामा, सइयाँ...
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होली और फगुआ गीत…
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(१)फागुन मा बलमा धरयं दोकान ****************************** फागुन मा बलमा धरयं दोकान फागुन मा वहि रे दोकनियाँ म रंग बिकत है लाल औ पीला मिलय...
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फौज हमय जिव-जान से प्यारी.. दो लोकगीत
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(१) सुन लेव पिताजी हमार, हमहूँ फौज मा जइबे। साहब बनब सरकार, नजर दुसमन कय गिरइबे।। हाथ म हम बन्दुखिया लेबै, अँखियाँ नाल म गड़इबे सरहद पर घुसप...
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सागर का दीवान कौन है ?
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साधो ! मन ना कहिए जाई तन आभूषण देखि लोभइहैं मन देइहैं बिसराई ॥ कित डूबे, कित बहि उतराने नदिया , कौन से सागर ...
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