जूता चुराई दे दो नेग, हरियाले जीजू
वरना जाओगे नंगे पाँव, शहज़ादे जीजू
जूता चुराई..।
जूता तुम्हारा लाख रुपैये का
हमको बस दे दो कुछ हज़ार, हरियाले जीजू
जूता चुराई..।
दीदी के संग मुझे सैर कराना
शॉपिंग भी देना करवाय, मेरे प्यारे जीजू
जूता चुराई..।
गूची का मुझको पर्स दिलाना
सैंडिल लुई वुतॉन, शहज़ादे जीजू
जूता चुराई..।
हीरे का लूँगी मैं आर्मलेट
झुमके मैं लूँगी जालीदार, मेरे प्यारे जीजू
जूता चुराई ..।
कोई भी शर्त जो मानी न तुमने
कर दूँगी पूरी हड़ताल, हरियाले जीजू
धरने पे बैठूँगी आज, शहज़ादे जीजू
जूता चुराई..।
जैसे हमारी माँगें हों पूरी
जूता मैं दूँगी पकड़ाय, शहज़ादे जीजू
जूता चुराई..।
**जिज्ञासा सिंह**
सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी, आपका बहुत बहुत आभार ! इस ब्लॉग पर आपका स्नेह निरंतर बना हुआ है, जिसका हृदयतल से स्वागत करती हूँ...। सादर नमन...।
जवाब देंहटाएंजमाना मॉडर्न है तो जीजा साली का रिश्ता भी हाई टेक होगया। एक जूते के लिए अनेक चीजें 👌👌👌बहुत प्रतिभाशाली साली है। मज़ेदार गीत। बहुत बहुत शुभकामनाएं🙏🌷🌷🌹🌹
जवाब देंहटाएंजी, रेणु जी, सही समझा आपने आजकल की सालियां बड़ी हाइटेक हैं, उन्हीं के हिसाब से लिखा है मैंने..असल में मुझे बड़ी रुचि है, इन विषयों में, हमारे रीतिरिवाज में ऐसे आयोजनों को शायद इसीलिए जोड़ा भी गया है कि लोग हर रस्म का आनंद लें और स्मृतियों में उसकी छवि अपनी छाप छोड़ जाय..अपनी छोटी सी यही कोशिश है..सादर सप्रेम जिज्ञासा सिंह..
जवाब देंहटाएं