घर पिछवारे परा अँधेर
घर पिछवारे रहयँ गरीबिन
नाउन धोबिन लोधिन महरिन
सुनौ सास तनी देखि के आओ
काहे दियना नाहीं बारिन
गौधिरका कय आई बेर
कलिहाँ देखा जात रहीं सब
जोर-जोर बतुआत रहीं तब
न राशन न मिला तेल है
दिया दिवारी का होई अब
कोटा आवे म अबहिंव देर
देवतन का लड़ुअन कय आसा
अम्मा माँगें खील-बतासा
लड़िके चुटपुटिया का लोटयँ
पापा झूरय दिययँ दिलासा
मम्मी का सब बइठे घेर
मर मजदूरी कै अकाल हय
मनरेगव अबकी बेहाल हय
एक दिहाड़ी दुइ मजूर पर
रिक्सा टेम्पू केयू न पूछय
हय गरीब कय ढेरम ढेर
जिज्ञासा सिंह