अन्य ब्लॉग

देवी गीत..

 

(चुपके चुपके आईं, भवानी मोरे अँगनवाँ


भोर भये रवि आने से पहले

देख नहीं मैं पाईभवानी मोरे अँगनवाँ


बाग हँसन लगेकमल खिलन लगे

कलियाँ हैं लहराईंभवानी मोरे अँगनवाँ


गोदिया बालक हँसि मुस्काने

मोहें नज़र नहीं आईं,भवानी मोरे अँगनवाँ


व्याकुल मन मोरा माँ को ढूँढ़े

दिख जाए परछाईंभवानी मोरे अँगनवाँ


मन देखाअंतर्मन देखा

हृदय बीच मुस्काईं, भवानी मोरे अँगनवाँ


नेह  श्रद्धा की छवि सुंदर

नैनन बीच समाईं, भवानी मोरे अँगनवाँ


चुपके-चुपके आईं, भवानी मोरे अँगनवाँ


(सारे नगर मची धूम जगदंबे आइँ

गाँव-शहर मची धूम माँ दुर्गे आइँ


पेड़ पकड़िया सब हर्षाने

चलीं हवाएँ झूम-झूम जगदंबे आइँ


नदियाँ बहन लगीं कुआँ भरन लगे

बादल बरसा घूम-घूम जगदंबे आइँ


अपनी अँटरिया पे चढ़ि-चढ़ि देखूँ

जयकारे नभ रहे चूम जगदंबे आइँ


आगे-आगे मैया पीछे संसार चले

अगल-बगल चले झुंड जगदंबे आइँ


जनगण मैया की अरती उतारें

बाजन बाजे बूम-बूमजगदंबे आइँ 


सारे नगर मची धूम जगदंबे आइँ 


**जिज्ञासा सिंह**

सोहर गीत..(हास्य व्यंग)

(१) जच्चा हमारी कमाल.. लगें फुलगेंदवा।

खाय मोटानी हैं चलि नहिं पावहि
फूला है दूनो गाल.. लगें फुलगेंदवा।

पांव है सिरकी पेट है गठरी
लुढ़कें जैस फुटबाल.. लगें फुलगेंदवा।

भाव देखावें कि अम्मा बनी हैं
ठोकें रहि रहि ताल.. लगें फुलगेंदवा।

भोर भए नित नखरा देखावें
रात भर रोया है लाल .. लगें फुलगेंदवा।
जच्चा हमारी कमाल, लगें फुलगेंदवा ॥


(२) कन्हैया जी के कजरा लगइहौं नाहीं भौजी।

ई कजरा बड़े मान मनौती
नेग पहिले लेब सुनहु मोरी भौजी।

हाथ के कंगनवा और नाक के झुलनियाँ
कमर करधनियां लेब मोरी भौजी ।

नाहीं नुकुर जो करिहौ तो सुन लेव
कजर नाहीं देब तू सुनो मोरी भौजी ।

इतनी बचन सुन भौजी हंसन लगीं
पहनाय दिया कंगना औ कहें सुनो ननदी।

अगले बरस जब करिहैं जन्मदिन
करधनियाँ औ झुलनियाँ पहिनाय दैहौं ननदी ।
कन्हैया जी के कजरा लगइहौं नाहीं ननदी ॥


(३) घर गुलजार है, लल्ले की बुआ आई हैं
लाल की बधाई, बधाई बुआ लाई हैं ॥

चाँद और तारों का खडुआ गढ़ाई हैं
भैया से भतीजे, के पाँव पहनाई हैं ॥
घर गुलज़ार….

फूल और कलियों से कपड़ा कढ़ाई हैं।
लाल को झिंगोलिया औ टोपी पहनाई हैं ॥
घर गुलज़ार….

हरे हरे तोता चिरैया ले आई हैं
लाल के पलनवा में खूब सजाई हैं ॥
घर गुलज़ार….

चाँदी कजरौटा कजरवा पराई हैं
लालन की छठिया में अँखियाँ सजाई हैं ।

घर गुलज़ार है, लल्ले की बुआ आई हैं ॥

**जिज्ञासा सिंह**