पहनी तिरंगा चुनरिया
सजन मोहे लागी नजरिया
चुनरी मोरी बंगाल से आई
बाबू सुभाष नगरिया
सजन मोहे लागी नजरिया
लहंगा मोरा गुजरात से आया
गाँधी पटेल नगरिया
सजन मोहे लागी नजरिया
चुनरी पहन मैं जिधर को जाऊँ
घूम घूम देखे सजनिया
सजन मोहे लागी नजरिया
हर सजनी सजना से माँगे
मोरी तिरंगा चुनरिया
सजन मोहे लागी नजरिया
चाहे पिया छोड़ो चाहे मोहे राखो
हम नाहीं देहैं जे चुनरिया
सजन मोहे लागी नजरिया
ई चुनरी मोहे जान से प्यारी
भारत देश निशनियाँ
सजन मोहे लागी नजरिया
दूर देस जइहैं गोरी पैसा कमइहैं
लै अइहैं लाख चुनरिया
सजन मोहे लागी नजरिया
अपनी सखिन का तुम बाँट दीजो
लाख तिरंगा चुनरिया
सजन मोहे लागी नजरिया
पहन ओढ़ के निकली हैं गोरिया
देशप्रेम की डगरिया
सजन मोहे लागी नजरिया
पहनी तिरंगा चुनरिया
सजन मोहे लागी नजरिया
**जिज्ञासा सिंह**
बहुत सुंदर रचना जिज्ञासा जी ।
जवाब देंहटाएंजितेन्द्र जी आपका बहुत बहुत आभार..सादर नमन..
हटाएंबहुत सुन्दर गीत।
जवाब देंहटाएं72वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आदरणीय शास्त्री जी, नमस्कार! आपका बहुत-बहुत आभार !सादर नमन..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब जिज्ञासा जी, देश प्रेमी गोरी और देशभक्ति की प्रतीक तीन रंगों वाली तिरंगा चुनर !!! वाह👌👌👌 बाबू सुभाष की नगरी की चुनरिया संग गुजरात का लहंगा जिसे पहन इठलाती गोरी का जीवंत शब्द चित्र!! नज़र ना लगे इस गोरी को!! जीवंत रचना हेतु हार्दिक शुभकामनाएं सखी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद प्रिय सखी ! सच कहूँ तो लोकगीत का मज़ा तो तभी आता है जब आपकी सखियाँ सहेलियाँ साथ में गाने लगें..तभी तो आपको मैंने आमंत्रित किया था..बहुत बहुत आदर है आपका रेणु जी..ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ जिज्ञासा सिंह..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सार्थक सृजन वाह ! बहुत सुंदर कहानी,
जवाब देंहटाएंPoem On Mother In Hindi
बहुत बहुत आभार..सादर नमन..
हटाएंबहुत ही सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंमनोज जी, उत्साहवर्धक प्रशंसा के लिए आपका बहुत आभार..
जवाब देंहटाएंलोकगीतों के पैटर्न पर राष्ट्रीयता का सफल अभिव्यञ्जन है -अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत आभार आदरणीय दीदी, आपकी स्नेहिल प्रशंसा को नमन करती हूँ..सादर नमन ..
जवाब देंहटाएंदेश प्रेम में रची चुनरिया देश के गणतंत्र पर शब्दों से महक रही है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना ...
मेरे इस ब्लॉग को समय देकर आपने सुंदर टिप्पणी की..जिसके लिए जितना आभार व्यक्त करूँ कम है ..सदैव स्नेह की अभिलाषा में जिज्ञासा सिंह...
जवाब देंहटाएंवाह....जिज्ञासा जी बहुत शानदार रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका आदरणीय उर्मिला जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को नमन करती हूँ..
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