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चूड़ी है रंगबिरंगी

 

अरे रामा चूड़ी है रंगबिरंगी 

चुनरिया धानी रे हारी 

मेरे माथे सजी है बिंदिया,

नथनिया न्यारी रे हारी 


मैं पहन के निकली अँगनवाँ

हैं द्वारे से आए सजनवाँ

मैं देख उन्हें शरमाई रामा

अरे रामा पुरवा चले बयार

पिया पे जाऊँ वारी रे हारी 


अरे रामा चूड़ी है रंगबिरंगी 

चुनरिया धानी रे हारी 


मोरी चूड़ी खनखन बोले

मोरा जियरा रहि रहि डोले

मोरी निमियाँ पे बोले कोयलिया रामा

अरे रामा पपिहा गावे मल्हार

बिहंसें सखि प्यारी रे हारी 


अरे रामा चूड़ी है रंगबिरंगी 

चुनरिया धानी रे हारी 


अब सावन झूले पड़ेंगे

हम सखियन के संग झूलेंगे

हम मारेंगे पेंग अकासी रामा

अरे रामा जाएँगे नभ के पार

लचक जाए डारी रे हारी 


अरे रामा चूड़ी है रंगबिरंगी 

चुनरिया धानी रे हारी 


**जिज्ञासा सिंह**

फौज नौकरिया रे हारी..कजरी

 


अरे रामा पियवा चले लद्दाख़,

फौज नौकरिया रे हारी 

मैंने भेजा है अरती उतार,

फौज नौकरिया रे हारी 


मैं रचि रचि भोजना बनाई

और अपने पिया का खिलाई

मैं लौंगा इलायची मँगाई रामा

अरे रामा खाते पिया मोरे पान

कि होंठवा ललारी रे हारी 


अरे रामा पियवा चले लद्दाख़,

फौज नौकरिया रे हारी 


पिया वार मेमोरियल जैहैं

और फ़ोटू मोहे पठैहैं

हम फ़ोटू का सबरी मढ़ैहैं रामा

अरे रामा घर मा दैहौं टाँग

रोज रोज देखिहौं रे हारी 


अरे रामा पियवा चले लद्दाख़,

फौज नौकरिया रे हारी 


पिया धरती का बहुत मोहावें

उसै अपनी अम्मा बतावें

मैं बलि बलि जाऊँ सुन सुन रामा 

अरे रामा देसवा से बहुत पियार

करेजवा वारी रे हारी 


अरे रामा पियवा चले लद्दाख़,

फौज नौकरिया रे हारी 


मैं लड़िकन का अपने बताऊँ

यहि देसवा से प्रेम सिखाऊँ

मैं सरहद की फोटु दिखाऊँ रामा

अरे रामा उन्हऊँ का भेजौं लद्धाख

देस रखवारी रे हारी 


अरे रामा पियवा चले लद्दाख़,

फ़ौज नौकरिया रे हारी 


**जिज्ञासा सिंह**