tag:blogger.com,1999:blog-7684811392652817589.post6664192250827730339..comments2024-03-10T18:01:08.750+05:30Comments on जिज्ञासा के गीत : रामजी बैठे सिंहासन (सोहर)जिज्ञासा सिंह http://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-7684811392652817589.post-24379704764277518682022-02-17T18:45:04.139+05:302022-02-17T18:45:04.139+05:30बड़ी ही सुंदर रचना बड़ी ही सुंदर रचना MANOJ KAYALhttps://www.blogger.com/profile/13231334683622272666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7684811392652817589.post-90193336907643689832022-02-16T13:08:26.400+05:302022-02-16T13:08:26.400+05:30वाह ... लोक गीतों में प्रभु राम ... आनंद कई कई गुन...वाह ... लोक गीतों में प्रभु राम ... आनंद कई कई गुना हो गया ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7684811392652817589.post-15565574688109974332022-02-15T15:06:12.997+05:302022-02-15T15:06:12.997+05:30बहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी ।बहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी ।जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7684811392652817589.post-46182420447808002692022-02-15T10:36:40.720+05:302022-02-15T10:36:40.720+05:30लोकभाषा के रस में सराबोर करती सुंदर रचना, जय श्रीर...लोकभाषा के रस में सराबोर करती सुंदर रचना, जय श्रीराम!Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7684811392652817589.post-7269163951948748142022-02-14T21:07:19.724+05:302022-02-14T21:07:19.724+05:30प्रिय कामिनी जी, ये पारंपरिक सोहर को "चर्चा म...प्रिय कामिनी जी, ये पारंपरिक सोहर को "चर्चा मंच" चर्चा का विषय बनाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार और अभिनंदन ।<br />मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐👏👏जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7684811392652817589.post-30261596488385993922022-02-14T21:05:38.653+05:302022-02-14T21:05:38.653+05:30प्रिय मनीषा तुम्हें तो ऐसे सोहर सुनने को जरूर मिले...प्रिय मनीषा तुम्हें तो ऐसे सोहर सुनने को जरूर मिले होंगे ।<br />तुम दादी को जरूर सुनाना । वो तुरंत इसका राग बता देंगी । तुम्हें मेरा ढेर सारा स्नेह और आशीष ।जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7684811392652817589.post-90042138184591260172022-02-14T21:03:02.641+05:302022-02-14T21:03:02.641+05:30बहुत बहुत आभार आदरणीय सर 👏💐बहुत बहुत आभार आदरणीय सर 👏💐जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7684811392652817589.post-9665146992122774752022-02-14T21:02:38.748+05:302022-02-14T21:02:38.748+05:30आपकी इतनी सारगर्भित और सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आ...आपकी इतनी सारगर्भित और सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन प्रिय सखी । आपको मेरा नमन और वंदन ।जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7684811392652817589.post-91952283832901392922022-02-14T17:29:56.436+05:302022-02-14T17:29:56.436+05:30सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्...सादर नमस्कार , <br /><br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (15-2-22) को <a href="https://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow"> पाश्चात्य प्रेमदिवस का रंग" (चर्चा अंक 4342)</a>पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .<br /> -- <br />कामिनी सिन्हा <br /><br />Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7684811392652817589.post-78566777494175675162022-02-14T16:37:16.683+05:302022-02-14T16:37:16.683+05:30वाह बहुत ही शानदार!
लोकगीत की बात ही कुछ और होती ...वाह बहुत ही शानदार! <br />लोकगीत की बात ही कुछ और होती हैManisha Goswamihttps://www.blogger.com/profile/10646619362412419141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7684811392652817589.post-42181122207564195902022-02-14T11:08:33.462+05:302022-02-14T11:08:33.462+05:30जय श्री राम !
बहुत सुन्दर गीत !
जय श्री राम ! <br />बहुत सुन्दर गीत !<br /> गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7684811392652817589.post-17865919246346356042022-02-13T22:08:48.414+05:302022-02-13T22:08:48.414+05:30रघुवर बैठे सिंहासन, हनुमत भुइयां गहे हो -२
सखि भरत...रघुवर बैठे सिंहासन, हनुमत भुइयां गहे हो -२<br />सखि भरत, सत्रोहन औ लछिमन, भइया के बगल ठाढ़े हो<br />ऋसिमुनि तिलक लगावइं, संखधुनि बाजइ हो -२<br />सखि होवन लागे मंगलचार, कौसिल्या जियरा हुलसय हो//<br />श्री राम जी के सिहांसनारूढ़। होने की बेला विशेष को शब्दों में पूर्णतः जीवंत करती रचना के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं। प्रिय जिज्ञासा जी। एकदम गोस्वामी सीसी तुलसीदास जी शैली का स्मरण कराती है रचना। लोक भाषा के माधुर्य के क्या कहने!!!🙏🌷🌷रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.com