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छब्बिस जनौरी (अवधी लोकगीत)

छब्बिस जनौरी के दिनवा,
सखी री एक लडुआ खिलाय दियो रे ।

यही रे दिना गणतंत्र बना था
झंडा हमारा अकास छुआ था
लड़िकन का तनी ई बताओ फौज
की गाथा सुनाय दियो रे ।

केतने सहीद भए केतने हेराने
केतने बिछुड़ गए हमहूँ न जाने
घरा वाले रहिया अगोरें सखी री
यहि देसवा पे मिट गए रे ।

बड़ी मुस्किल से आजादी मिली थी
कीमत बड़ी ही चुकानी पड़ी थी
केहू न बच्चन का बतावे सेनानी
कैसे देसवा बचाय गए रे ।

स्कूल विद्या से कुछू नाहीं जनिहैं
खाली कमैहैं औ घर का चलैहैं
मास्टर औ मुंसी न बतावें सखी रे
माँ के फर्ज निभाय दियो रे ।

हम तुम हैं माँ, सखी भारत भी माता
केहू नाहीं भक्ती देस की गाता
अपने से पहिले आपन देसवा
सखी री यही लड़िकन बताय दियो रे

छब्बिस जनौरी के दिनवा,
सखी री एक लडुआ खिलाय दियो रे ।

शब्द: अर्थ
लडुआ: लड्डू
अकास: आसमान  
हेराने: खो जाना
अगोरें: इंतजार करना
लड़िकन,बच्चन: बच्चे
मुंसी: टीचर

**जिज्ञासा सिंह**

12 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (२८-०१ -२०२२ ) को
    'शब्द ब्रह्म को मेरा प्रणाम !'(चर्चा-अंक-४३२४)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    उत्तर
    1. अनीता जी, इन गीतों को चर्चा में लाने के लिए आपका जितना शुक्रिया करूं कम है ।आपको मेरा कोटिशः आभार ।

      हटाएं
  2. उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार यशवंत जी, आपके "लाजवाब गीत" कथन ने रचना को सार्थक कर दिया ।

      हटाएं
  3. बहुत ही सुंदर आपका ये गीत पढ़ कर मुझे एक गीत याद आ रहा जो हमारे स्कूल में अक्सर बच्चे गाते थे
    अमर गांधी तोहरे करनवा
    हाँ मेरो देश महान...!
    बस इतना ही याद है 😃

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  4. 😃😃 मैं भी वैसे ही गीतों को याद करके ये लिख पाती हूं ।
    लगता है तुरत कहीं जाकर स्टेज पर गाने लगूं, जैसे स्कूल के दिनों में गाती थी और टीचर कहें वाह जिज्ञासा बहुत बढ़िया । खैर तुम्हारी वाह भी बहुत है 😃😃

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  5. देशभक्ति से पूरित बहुत सुन्दर गीत !

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  6. आपकी टिप्पणियां मेरे इस ब्लॉग के लिए संजीवनी हैं । आपको मेरा सादर नमन एवम वंदन ।

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  7. बहुत सुंदर जिज्ञासा जी अवधी में गणतंत्र दिवस का देशभक्ति से ओतप्रोत सुंदर गीत ।
    भावात्मक प्रतीक ।
    अभिनव सृजन।

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  8. ऐसे गीत हमारे यहां बड़े भाव से गाए जाते थे कुसुम जी । दादी चाची तो सोहर और विवाह गीत भी देशभक्ति के गाती थीं ।सोचती हूं देश के प्रति कितना आदर था उन स्त्रियों में ।
    आप का यहां आना और इस गीत की सराहना मुझे बड़ा अभिभूत करता है ।आपको मेरा नमन और वंदन ।

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  9. अवधि और देश भक्ति का भाव ...
    ये मिश्रित व्याख्या इस आनद को दुगना कर रही है ... सुन्दर सृजन ...

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  10. बहुत बहुत आभार आपका ।आप सबके स्नेह से लोकगीतों का ये ब्लॉग चल रहा है ।बहुत आभार आपका 👏💐

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